
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक बच्ची की मौत के बाद जो हालात बने वो शर्मसार करने वाले हैं. बेटी की मौत के बाद पिता ने शव वाहन की मांग की तो चिकित्सक ने साफ मना कर दिया, जिसके बाद लाचार पिता अपने जिगर के टुकड़े का शव कंधे पर लेकर निकल पड़ा.
दरअसल, शनिवार की सुबह लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 7 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई. परिजन बच्ची को बुखार और पेट दर्द की शिकायत होने के बाद स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था. बच्ची के पिता का आरोप है कि वो अपनी बच्ची को भर्ती कराने के बाद चिकित्सक और नर्स से कहा था कि बुखार के कारण उसकी बेटी कुछ खाई नहीं है, जिसके बाद वहां की एक नर्स ने उसे इंजेक्शन लगाया और कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई.
बेटी की मौत के बाद माता-पिता बिलख उठे. उन्होंने बच्ची की लाश को ले जाने के लिए शव वाहन की मांग की तो चिकित्सक ने कहा कि यहां शव वाहन की व्यवस्था नहीं है. अपनी व्यवस्था से शव ले जाओ, जिसके बाद बच्ची के माता पिता रोते-रोते अपनी बेटी के शव को कंधे पर लेकर पैदल ही चले गए. वो करीब 10 किलोमीटर पैदल शव लेकर गए थे.
जानकारी के मुताबिक, अमदला निवासी ईश्वर दास ने बताया कि मेरी बेटी सुरेखा (7 वर्ष) को 2 दिनों से बुखार आ रहा था. बीती रात पेट में दर्द हो रहा था. आज सुबह 7 बजे लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्स के द्वारा इंजेक्शन लगाया गया. कुछ देर बाद बच्ची की नाक से खून निकला और उसकी मौत हो गई.
इस संबंध में बीएमओ डॉ. पीएस मार्को ने बताया कि बच्ची में ऑक्सीजन की कमी थी, 15 दिन से बुखार था. उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. स्टाफ द्वारा इंजेक्शन लगाया गया था, जिसके बाद भी उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और बच्ची की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में वेंटिलेटर एवं शव वाहन की कमी है, जिस वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि लखनपुर स्वास्थ्य केंद्र में एक बच्ची को भर्ती कराया गया था. उस बच्चे का ऑक्सीजन लेवल काफी कम था, उसे बचाने की कोशिश की गई पर वो बच नहीं पाई. शव वाहन स्वास्थ्य केंद्र में 9:00 बजे के करीब पहुंचा, लेकिन तब तक शव लेकर परिजन जा चुके थे. इसमें डॉक्टर व स्टाफ नर्स की लापरवाही है, उन्हें व्यवस्था करनी चाहिए थी.