
बिलासपुर के सीपत गांव से 15 साल का उमेश कुमार अचानक गायब हो गया था. उमेश के पिता राम कुमार केवट ने 25 अगस्त 2012 को सीपत थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. गुमशुदगी उस वक्त हुई थी, जब वो अपने घर से स्कूल जाने के लिए निकला था. तब उमेश 7वीं कक्षा में पढ़ता था. बताया जाता है कि स्कूल से वापस घर लौटने के बजाय उसने रेलवे स्टेशन का रुख कर लिया.
इस दौरान वो बिलासपुर रेलवे स्टेशन में खड़ी किसी ट्रेन में सवार होकर अमृतसर पहुंच गया. यहां से अटारी बॉर्डर तक पहुंच गया. अटारी में उसने एक ढाबे में काम करना शुरू कर दिया. उमेश के मुताबिक वो अपने घर का पता भूल गया था और घूमते फिरते रेलवे स्टेशन के भीतर चला गया.
करीब छह वर्ष तक उमेश नदारद रहा. कुछ वर्षों तक तो उसकी खोजबीन होती रही. लेकिन वक्त बीतते उसके परिजनों की आस भी टूटती चली गई. इस बीच ढाबे में काम कर रहे उमेश की सूझबूझ बढ़ी और उसने मोबाइल खरीद लिया. उसमें उसने सोशल साइट फेसबुक डाउनलोड किया और जुट गया अपने गांव का हालचाल जानने और अपने कुछ खास दोस्तों की खोजबीन में. फेसबुक के जरिए उसने अपने तीन-चार पुराने दोस्तों से संपर्क साधा. उनके साथ चैटिंग शुरू की. उमेश का पता ठिकाना मिलने से उसके परिजनों को बहुत राहत मिली और जान में जान आई. अटारी बॉर्डर में उसकी मौजूदगी की सूचना स्थानीय थाने में दी गई.
सीपत थाने के इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल ने फेसबुक के जरिए उमेश से संपर्क साधा. फिर वीडियों कॉल के जरिए उन्होंने उस ढाबे का नजारा देखा जहां वो काम करता था. यही नहीं, इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल ने उस ढाबे के संचालक गोल्डी गिल से भी बातचीत की. पुलिस से बातचीत के बाद गोल्डी गिल ने उमेश को सुरक्षित उसके परिजनों के पास भेजा.
अपने लाडले से मिलकर उमेश के परिजन बेहद खुश हैं. हालांकि उमेश ने वापस अटारी जाने की इच्छा जाहिर कर अपने परिजनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.