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छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले मामले में कुछ दिनों से ईडी की छापेमारी जारी है. इस छापेमारी से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरशाही में डर का माहौल है. जैसे-जैसी ईडी की जांच आगे बढ़ रही है, कई नए नाम इस लिस्ट में जुड़ रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व सचिव सौम्या चौरसिया और आईएएस समीर विश्नोई के लिए परेशानी बढ़ सकती है.
ताजा घटनाक्रम के तहत ईडी ने भ्रष्टाचार को लेकर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखा है. 24 मार्च को लिखे गए इस पत्र में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है. इंडिया टुडे के पास इस पत्र की कॉपी है, जिससे पता चलता है कि सौम्या चौरसिया ने किस तरह कोयला परिवहन घोटाले में उगाही के लिए एक पूरे कार्टेल का संचालन किया.
इस पत्र में यह भी कहा गया छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल डिवाइसों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस सिंडिकेट को बनाने में सौम्या चौरसिया की मुख्य भूमिका रही. इस सिंडिकेट की अगुवाई सूर्यकांत तिवारी ने की.
ईडी का कहना है कि बीते दो सालों में 540 करोड़ रुपये की उगाही की गई. ईडी के केस दर्ज करने के बाद अब तक इस मामले में कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
जांच से पता चला है कि सौम्या को अपने करीबी विश्वासपात्र मनीष उपाध्याय के जरिए सूर्यकांत तिवारी के सिंडिकेट से भारी धनराशि मिली थी. मनीष उपाध्याय दरअसल सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार हैं. सौम्या ने कुल 22 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी, जिसका ब्योरा इस पत्र में दिया गया है.
राज्य सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है. हालांकि, मुख्यमंत्री बघेल बीजेपी पर लगातार निशाना साध रहे हैं कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले बदले की राजनीति के तहत जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.
ये VIP हैं ED के निशान पर
1. सौम्या चौरसिया: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की पूर्व उप सचिव सौम्या राज्य की कमान संभाल रही थीं. उन्हें 2 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने उनकी 51 संपत्तियों को कुर्क किया है, जिसमें 7.57 करोड़ रुपये की आठ बेनामी अचल संपत्तियां शामिल हैं. ये कथित रूप से सौम्या चौरसिया के कब्जे में हैं. सूर्यकांत तिवारी द्वारा की गई अवैध रंगदारी से उन्हें 30 करोड़ रुपये मिले थे.
2. सूर्यकांत तिवारी: बड़े कोयला कारोबारी हैं. पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड तिवारी एक दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्हें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके शासन के दौरान भाजपा का करीबी माना जाता था. हालांकि, वह बिना किसी सक्रिय राजनीतिक भूमिका के कांग्रेस के साथ भी जुड़े रहे. ED ने उनके पास से एक डायरी सहित आवश्यक दस्तावेज बरामद किए, जिसमें कुछ नौकरशाहों, राजनेताओं के साथ जुड़ाव का खुलासा हुआ. इसके अलावा उनके कब्जे से करोड़ों की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए गए.
3. समीर विश्नोई: पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार हुए. ईडी ने 4 किलो सोना, 20 कैरेट हीरे और 47 लाख नकद बरामद किया था. विश्नोई को छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी मार्केटिंग संघ (MARKFED) के प्रबंध निदेशक के रूप में कमान मिली थी. बाद में राज्य सरकार ने विश्नोई को उनके प्रभार से मुक्त कर दिया था.
4. राम गोपाल अग्रवाल: पार्टी के कोषाध्यक्ष और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष. कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में महत्वपूर्ण भूमिका. मुख्यमंत्री के साथ अच्छा तालमेल है. उन्हें पार्टी को फंड मुहैया कराने को लेकर जाना जाता है.
5. दीपांशु काबरा: रायपुर के पूर्व आईजी दीपांशु काबरा मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ सरकार के जनसंपर्क विभाग के आयुक्त और अतिरिक्त परिवहन आयुक्त हैं. वह 1997 के आईपीएस बैच से हैं. वह लंबे समय से ईडी के राडार पर थे.