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छत्तीसगढ़ में कबाड़ में तब्दील हुईं हजारों साइकिलें

राज्य सरकार ने मजदूरों और जरूरतमंद लोगों के अलावा स्कूली बच्चों तक को मुफ्त साइकिल वितरित करने की सरस्वती साइकिल योजना को जोर-शोर से लागू किया था. प्रत्येक जिले में कहीं श्रम विभाग को तो कहीं ट्राइबल वेलफेयर विभाग को इसके वितरण की जवाबदारी सौंपी गई थी.

स्कूल में खड़ी साइकिलें स्कूल में खड़ी साइकिलें
राहुल विश्वकर्मा/सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 01 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 2:49 AM IST

छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब आते ही सरकारी योजनाओं की पोल भी खुलने लगी है. एक सरकारी योजना के तहत मजदूरों और जरुरतमंदों को मुफ्त वितरण के लिए राज्य की बीजेपी सरकार ने लाखों की तादाद में साइकिलें खरीदी थीं. कई जिलों में साइकिल वितरित भी हुई, लेकिन कई जिले आज भी ऐसे हैं,  जहां गोदामों में पड़े-पड़े हजारों साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो गईं. जशपुर में एक ऐसे ही गोदाम का खुलासा हुआ जहां चार हजार दो सौ साइकिलें कबाड़ बन गई हैं. मामले के खुलासे के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं.

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छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले के लाइवलीहुड कॉलेज परिसर में स्थित इस गोदाम में रखी साइकिलें दिनों दिन कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं. एक नामी गिरामी कंपनी की इस जिले के लिए सात हजार आठ सौ साइकिलें खरीदी गईं थी, ताकि जरूरतमंदों को इन्हे मुहैया कराया जा सके,  लेकिन इनमें से मात्र 3600 साइकिलें ही बांटी जा सकीं. शेष 4 हजार 200 साइकिलें लावारिस हालत में यहां रखी हुई हैं. इन साइकिलों को मजदूरों और जरूरतमंदों को मुहैया कराने की जवाबदेही राज्य के श्रम विभाग की थी, लेकिन श्रम विभाग के अफसरों ने इसके  वितरण में कोई रुचि नहीं दिखाई. सालभर पहले उन्होंने 3600 साइकिलें वितरित कीं. उसके बाद पलट कर अपने इस गोदाम का रुख तक नहीं किया. नतीजतन हजारों साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो गईं. सैकड़ों साइकिलों में जंग लग गया. श्रम विभाग के अफसरों से जब इस बारे में पूछा गया तो वे लीपापोती में जुट गए.

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उधर मामले के खुलासे के बाद कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर सरकारी धन की बर्बादी और योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी के मुताबिक बीजेपी ने सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इस योजना को तैयार किया था, इसलिए अफसरों ने भी इसे गंभीरता से लागू नहीं किया.  नतीजतन करोड़ों का चूना सरकारी तिजोरी को लगा. इधर सरकरी प्रवक्ता और विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि मामले के सामने आने के बाद जांच के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने दावा किया कि लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.  

छत्तीसगढ़ में सिर्फ जशपुर में ही नहीं बल्कि राज्य के दूसरे और जिलों में साइकिल वितरण योजना का यही हाल है. राज्य सरकार ने मजदूरों और जरूरतमंद लोगों के अलावा स्कूली बच्चों तक को मुफ्त साइकिल वितरित करने की सरस्वती साइकिल योजना को जोर-शोर से लागू किया था. प्रत्येक जिले में कहीं श्रम विभाग को तो कहीं ट्राइबल वेलफेयर विभाग को इसके वितरण की जवाबदारी सौंपी गई थी. ये साइकिलें किसी एजेंसी के मुनाफे से बचने के लिए सीधे कंपनियों से खरीदी गई थीं. साइकिल खरीदी में कोई एजेंसी या बिचौलियों को शामिल नहीं किया गया था. ताकि सरकार को बाजार भाव से कम कीमत पर साइकिलें उपलब्ध हो सकें. लेकिन इस तरह से गोदामों में पड़ी साइकिलों के बर्बादी से सरकार की मंशा पर पानी फिर गया. साइकिल वितरण योजना के बुरे हाल को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सरकारी धन की बर्बादी का आरोप लगाया है.

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उधर सरकारी गोदाम में साइकिलों की बर्बादी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने अफसरों को आड़े हाथों लिया है.  सरकार ने प्रथम दृष्टया इसे अफसरों की लापरवाही करार दिया है और मामले की जांच के निर्देश भी दिए हैं.

छत्तीसगढ़ में साइकिलें आज भी पसंद की जाती हैं. आदिवासी इलाका हो या फिर आम ग्रामीण इलाका, लोगों की पहली पसंद आज भी साइकिल ही है. लिहाजा सरकार ने मेहनतकश मजदूरों और स्कूली बच्चों के लिए साइकिल वितरण योजना तैयार की और इसे जोर-शोर से लागू भी किया. लेकिन अब अफसरशाही इन योजनाओं पर भारी पड़ रही है. 

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