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IAS से नेता बने ओपी चौधरी पर AAP का बड़ा हमला, लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले आईएएस अफसरों का राजनीति में आने का सिलसिला शुरू हो चुका है तो विपक्षी दलों ने आईएएस से नएनवेले नेता बने ओपी चौधरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.  

आप नेता गोपाल राय ने आरोप लगाया आप नेता गोपाल राय ने आरोप लगाया
सुनील नामदेव/सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • रायपुर,
  • 07 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

हाल ही में आईएएस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने वाले रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी पर दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहते जमीनों की अदला-बदली में बड़े पैमाने पर भ्रष्ट्राचार करने का आरोप लगा है.

आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि उन्होंने दंतेवाड़ा में सरकारी और निजी जमीन की अदला-बदली कर करोड़ों का घपला किया. आम आदमी पार्टी ने इस मामले में कुछ दस्तावेज भी पेश किए. हालांकि ओपी चौधरी ने आप के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.

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आप नेता गोपाल राय ने आईएएस की नौकरी छोड़ बीजेपी में शमिल हुए ओपी चौधरी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. आप के छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि चौधरी ने दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते हुए सरकारी जमीन और निजी जमीन की अदला-बदली करके करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है.

हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना

उन्होंने यह भी कहा कि बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए राज्य सरकार ने ना तो इसकी जांच कराई और ना ही चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई की. यह मामला 2011 से 2013 के बीच का है. जब चौधरी दंतेवाड़ा के कलेक्टर थे. भ्रष्ट्राचार के इस मामले के चलते सरकारी खजाने को भारी क्षति पहुंचाई गई.

गोपाल राय ने बताया कि एक शिकायतकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर पूरे मामले की जांच की मांग की थी. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2016 में आदेश दिया कि इस पूरे प्रकरण की जांच की जाए.

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उन्होंने कहा कि इस मामले में संलिप्त तत्कालीन कलेक्टर, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और अन्य अधिकारियों को हाईकोर्ट ने दोषी पाया था. साथ ही उन पर एक-एक लाख का रूपये का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन बीजेपी से करीब होने के चलते चौधरी बच गए.  

गोपाल राय ने मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज भी पत्रकारों को सौंपे. उन्होंने बताया कि मात्र एक दिन के भीतर ही जमीन बेचने का परमिशन और नामांतरण संबंधी प्रक्रिया कलेक्टर के निर्देश पर पूरी की गई थी. इस मामले में जिस जमीन को किसान बैजनाथ से मात्र 10 लाख रुपये में खरीदा. उसे 25 लाख रुपये में बेच दिया गया.

बिक्रीकर्ता ने कलेक्टर से सांठगाठ कर उस जमीन के बदले में दंतेवाड़ा के बस स्टैंड के पास व्यवसायिक भूमि के अलावा 2 अन्य स्थानों पर जमीन पर मालिकाना हक पा लिया. उन्होंने बताया कि निजी भूमि को महंगे दर पर और सरकारी महंगी जमीन को सस्ती बताकर कलेक्टर के निर्देश पर 5.67 एकड़ सरकारी कीमती भूमि हथिया ली गई.

8 साल पुराना मामला

जिला पंचायत दंतेवाड़ा में वर्ष 2010 में बैजनाथ नामक किसान से 4 लोगों ने मिलकर 3.67 एकड़ कृषि भूमि खरीदी. खरीददारों में मोहम्मद साहिल हमीद, कैलाश गुप्ता, मुकेश शर्मा और प्रशांत अग्रवाल शामिल थे.

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वर्ष 2011 में ओपी चौधरी के कार्यकाल में मामले की घपलेबाजी शुरू हो गई. 2013 में राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिन के भीतर ही इन चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली.

कलेक्टर के निर्देश पर जिला पंचायत के बाजू वाली जमीन पर विकास भवन का निर्माण किया गया. जबकि इस निजी जमीन के बदले दंतेवाड़ा में बस स्टैंड के पास करोड़ों की व्यवसायिक जमीन से इसकी अदला-बदली की गई.

हालांकि पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी का कहना है कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कोई आदेश पारित नहीं किया. उन्होंने बताया कि पूर्व के दस्तावेजों की जांच के बाद उन्होंने खुद मामले की जांच की सिफारिश शासन से की थी. उन्होंने आप पार्टी के आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया.

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