
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में क्राइम ब्रांच के बुने जाल में आखिरकर नकली नोटों का सौदागर राजीकुल शेख उर्फ फिरोज फंस गया. उसे दो लाख की नकली नोटों की नगदी के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया.
बता दें कि राजीकुल शेख बांग्लादेश की राजधानी ढाका का रहने वाला है. लेकिन उसने पश्चिम बंगाल के मालदा और कोलकाता में अपने ठिकाने बना रखे हैं. ताकि भारतीय बाजार में नकली नोटों की खेप सुरक्षित ढंग से पहुंचाई जा सके.
राजीकुल शेख ने पुलिस को अपने पता- ठिकाने का कोई ख़ास ब्यौरा नहीं दिया है. लेकिन उसने यह जरूर बताया की बांग्लादेश से आखिर किस तरह से नकली नोटों की खेप भारतीय बाजार में आ रही है. उसके मुताबिक, उसके जैसे सैकड़ों कमीशन एजेंट देश भर में फैले हुए हैं.
गौरतलब है कि आठ नवंबर 2016 को भारत में नोटबंदी हुई थी. उसके बाद करीब दो माह तक नकली नोटों का कारोबार ठप रहा. लेकिन चंद महीनों में ही बांग्लादेश में पहले दो हजार के और फिर पांच सौ के नोट के ब्लॉक और सांचे बन गए. इसके बाद रोजाना पहले की तरह लाखो की नगदी छपने लगी.
इससे पहले अंबिकापुर में 25 अप्रेल 2018 को ज्ञानेंद्र तिवारी नामक एक शक्स के पास से पुलिस ने दो हजार के 30 नकली नोट जब्त किए थे. यह शख्स स्थानीय बाजार में नकली नोटों की लाखों की खेप खपा चुका था. लेकिन इसकी खबर किसी को भी कानो कान ना थी. एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने उसे नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था.
ज्ञानेंद्र तिवारी मध्यप्रदेश के रीवा जिले के ग्राम कोल्हागांव का रहने वाला है. बताया जाता है कि उसने मध्यप्रदेश के कई जिलों में भी नकली नोट खपाए थे. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने पश्चिम बंगाल के कई शहरों में उन लोगों की खोजबीन की जो भारतीय बाजार में नकली नोट खपा रहे हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल में ऐसा कोई भी कारोबारी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. इस बीच पुलिस ने ज्ञानेंद्र तिवारी के मोबाइल फोन से राजीकुल शेख को फोन कर बड़ी डील की बात की. इस डील को अंजाम तक पहुंचाने के लिए राजीकुल शेख को अंबिकापुर बुलाया. फिर उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया.
बांग्लादेश में हो रही चोरी छिपे भारतीय नोटों की छपाई
राजीकुल शेख के मुताबिक, बांग्लादेश में चोरी छिपे भारतीय नोटों की जमकर छपाई होती है. भारतीय मुद्रा की छपाई में जो कागज इस्तेमाल हो रहा है , वह कागज बांग्लादेश में भी उपलब्ध है. लिहाजा नोटबंदी के बावजूद यह कारोबार पहले की तरह फिर से फल फूल गया. उसके मुताबिक बांग्लादेश में उन्हें दो हजार रुपये का नोट सात सौ पचास रुपये में और पांच सौ का नोट मात्र दो सौ रुपये में उपलब्ध हो जाते हैं. वे इस रकम को सुरक्षित रूप से पश्चिम बंगाल ले आते हैं. फिर यहां आधी कीमत में विभिन्न एजेंट को उपलब्ध करा देते हैं.
नकली और असली नोटों में जरा भी अंतर नहीं
राजीकुल शेख से पूछतांछ के दौरान यह बात सामने आई है कि अधिकतर लोग दो हजार और पांच सौ के असली और नकली नोटों के बीच जरा भी अंतर महसूस नहीं कर पाते. वे सिर्फ कलर और अंकों को देख कर नोट का इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा बड़ी आसानी से नकली नोट बाजार में खप जाते हैं.
हाल ही में छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन राष्ट्रीयकृत बैंको ने साठ लाख के नकली नोट रायपुर पुलिस को मुहैया कराए थे. ये नकली नोट चलन में बैंकों में आए थे. लेकिन किन ग्राहकों के जरिए नकली नोट बैंकों तक पहुंचे उनकी शिनाख्ती नहीं हो पाई थी. बैंकों से मिली शिकायत के बाद राज्य भर में नकली नोटों के सौदागरों की खोजबीन शुरू हुई. इसी कड़ी में अंबिकापुर में ज्ञानेंद्र तिवारी पुलिस के हत्थे चढ़ा था. फिलहाल उसके आका राजीकुल शेख से पूछताछ की जा रही है.