
छत्तीसगढ़ की मरवाही विधान सभा सीट से विधायक अमित जोगी इस बार सीट अपने पिता और पूर्व सीएम अजीत होगी के लिए छोड़ रहे हैं. ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत मानी जाती है. मध्य प्रदेश के समय से ही ये सीट काफी चर्चित सीट रही है, अजीत जोगी ने यहीं से जीतकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था.
बिलासपुर जिले में आने वाला मरवाही विधानसभा क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित है. इस विधानसभा क्षेत्र की एक और खासियत है कि ये दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है.
दरअसल मरवाही के हर विधायक ने एक न एक बार अपनी पार्टी जरूर बदली है या पार्टी छोड़कर चुनाव लड़ा है. ये परंपरा इस बार फिर देखने को मिलेगी, चाहे अमित जोगी लड़े या फिर अजीत जोगी. दोनों लोग कांग्रेस से अलग हो चुके हैं.
मरवाही की खासियत
ये इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है. करीब डेढ़ लाख हेक्टयेर में जंगल फैला हुआ है. भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है. इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी मिलते हैं, लेकिन अब यही भालू यहां की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं.
भालू यहां की सबसे बड़ी समस्या
जंगल में रहने वाले ग्रामीणों पर लगातार भालू के हमले की खबर आती रहती हैं. जोगी मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत चलाने की घोषणा की थी, लेकिन जोगी के जाते ही ये योजना भी गुम हो गई. यही वजह है कि हर चुनाव में यहां दूसरे मुद्दों के साथ भालू भी एक बड़ा मुद्दा होता है.
2013 के विधानसभा चुनाव
मरवाही सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस से अमित जोगी ने पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे थे. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.
2008 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस के अजीत जोगी को 67523 वोट मिले थे.
बीजेपी के ध्यान सिंह परोटे को 25431 वोट मिले थे.
2003 के विधानसभा चुनाव
कांग्रेस के अजीत जोगी को 76269 को वोट मिले थे.
बीजेपी के नंद कुमार साई को 22119 को वोट मिले थे.
मरवाही दलबदलू विधायकों का वर्चस्व
मरवाही सीट की कहानी दिलचस्प है. ये दलबदलू विधायकों का क्षेत्र रहा है. इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है, जिन्होंने 1972 ,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई. 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने. भंवर सिंह नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया और 1990 में विधायक बने. 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक बने.
जोगी का ऐसे बना गढ़
2001 के बाद से ये विधानसभा जोगी की होकर रह गई. 2003, 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे. 2013 में अमित जोगी ने इस सीट को छोड़ दिया था. अब 2018 में अमित पिता के लिए सीट छोड़ रहे है.राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है. हालांकि अमित जोगी मानते हैं कि ये कांग्रेस का नहीं बल्कि जोगी का गढ़ है.
बिलासपुर से 150 किलोमीटर दूर मरवाही की पीड़ा ये है कि यहां का आदिवासी, विकास तो दूर अपने जिला मुख्यालय से भी इतनी दूर है, जहां तक पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. लिहाजा ना तो उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलती है और न ही उनका सही तरह से क्रियान्वयन होता है. नतीजतन ये पिछड़ा इलाका और पिछड़ता जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के बारे में
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में अभी कुल 11 लोकसभा और 5 राज्यसभा की सीटें हैं. छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले हैं. राज्य में कुल 51 सीटें सामान्य, 10 सीटें एससी और 29 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं.
2013 चुनाव में क्या थे नतीजे
2013 में विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए गए थे. इनमें भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में लगातार तीसरी बार कांग्रेस को मात देकर सरकार बनाई थी. रमन सिंह की अगुवाई में बीजेपी को 2013 में कुल 49 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस सिर्फ 39 सीटें ही जीत पाई थी. जबकि 2 सीटें अन्य दलों के खाते में गई थीं. 2008 के मुकाबले बीजेपी को तीन सीटें कम मिली थीं, इसके बावजूद उन्होंने पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई. रमन सिंह 2003 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं.