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मजबूरी या रणनीति... छत्तीसगढ़ चुनाव में बीजेपी ने हारे कैंडिडेट्स और पुराने चेहरों पर क्यों लगाया दांव

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ चुनाव में 11 विधायकों के साथ ही 13 ऐसे नेताओं को भी टिकट दिया है जो पिछला चुनाव हार गए थे. इनमें रमन सरकार के 17 मंत्रियों के भी नाम हैं जिनमें से कई को पिछले चुनाव में हार का सामना करनी पड़ी थी.

जेपी नड्डा जेपी नड्डा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

छत्तीसगढ़ में चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं. सूबे की 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरण में चुनाव होने हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा की 20 सीटों के लिए पहले चरण में 7 नवंबर और बाकी 70 सीटों के लिए दूसरे चरण में 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. दिल्ली में 9 अक्टूबर को चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की तारीखों के ऐलान के कुछ ही घंटों बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी.

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बीजेपी की ओर से जारी दूसरी सूची में 64 उम्मीदवारों के नाम हैं. पार्टी ने तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह को राजनांदगांव से उतारा है तो प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को लोरमी से टिकट दिया है. बीजेपी ने 21 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान पहले ही कर दिया था. अब 64 उम्मीदवारों की सूची के साथ ही बीजेपी प्रदेश की 90 में से 85 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है.

बीजेपी ने पांच सीटों पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं और ये सीटें हैं- पंढरिया, बेमेतरा, कसडोल, बेलतरा और अंबिकापुर. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में अपने सभी विधायको को फिर से मैदान में उतार दिया है. पार्टी ने रमन सिंह की सरकार में मंत्री रहे 17 नेताओं को भी टिकट दिया है. इनमें से ज्यादातर 2018 का चुनाव हार गए थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इलाके बस्तर रीजन की ही बात करें तो बीजेपी ने 12 में से चार सीटों पर उन चेहरों पर ही दांव लगाया है जिनको 2018 के चुनाव में शिकस्त झेलनी पड़ी थी. इनमें तीन पूर्व मंत्रियों केदार कश्यप, लता उसेंडी और महेश गागड़ा के नाम शामिल हैं.

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बीजेपी ने तीन बार के पूर्व विधायक केदार कश्यप को नारायणपुर, महेश गागड़ा को बीजापुर और लता उसेंडी को कोंडागांव सीट से टिकट दिया है. बीजेपी की ओर से अब तक घोषित उम्मीदवारों की सूची में 15 महिलाओं के भी नाम हैं. पार्टी ने 43 युवा उम्मीदवारों पर दांव लगाया है तो अब तक घोषित उम्मीदवारों में इतने ही नए चेहरे भी हैं. बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में 11 विधायकों के नाम हैं तो 13 ऐसे नेताओं के भी जो चुनाव हार चुके हैं. बीजेपी के ऐसे नेताओं पर दांव लगाने को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि हारे नेताओं पर दांव बीजेपी की मजबूरी है या रणनीति?

कहा तो ये भी जा रहा है कि बीजेपी के नेता और प्रदेश नेतृत्व, लोकसभा चुनाव के बाद शिथिल रहे. इसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी कई जगह विधानसभा क्षेत्रों में नया नेतृत्व तैयार नहीं कर सकी. ऐसे में मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी को कई इलाकों में न चाहते हुए भी हारे नेताओं पर दांव लगाना पड़ा क्योंकि वहां इनसे बेहतर विकल्प पार्टी नहीं खोज पाई.

छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने 4 अक्टूबर को इंडिया टुडे के कार्यक्रम पंचायत आजतक छत्तीसगढ़ मे किसी भी ओपिनियन पोल में बीजेपी सरकार के संकेत नहीं होने को लेकर सवाल पर कहा था कि पिछले एक महीने में चीजें बदली हैं. रमन के इस जवाब को लेकर ये भी कहा जाने लगा कि वे खुद भी नेताओं के निष्क्रिय रहने की बात मान रहे हैं.

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बीजेपी ने रमन सरकार के हारे मंत्रियों को भी टिकट दिया है. ऐसे में इसके सियासी मायने भी तलाशे जाने लगे हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि पार्टी ने एक तरह से ये मान लिया है कि प्रदेश के किसी नेता के चेहरे में वह जादू नहीं है जो पार्टी को सत्ता दिला सके. बीजेपी सामूहिक नेतृत्व के साथ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है लेकिन टिकट बंटवारे से ये संदेश भी दे दिया है कि रमन का पार्टी की रणनीति में अहम रोल रहने वाला है.

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