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नक्सलियों को रमन सिंह की दो टूक- 'सरेंडर करो वर्ना बख्शे नहीं जाओगे'

रमन सिंह ने कहा कि वो नक्सलियों के रेड कॉरिडोर को विकास और शांति के ग्रीन कॉरिडोर में बदलना चाहते हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल रही है.

रमन सिंह रमन सिंह
आशुतोष कुमार मौर्य
  • रायपुर,
  • 14 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:27 AM IST

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सलियों को दो टूक संदेश देते हुए कहा है कि या तो वे मुख्यधारा में शामिल हो जाएं या फिर प्रदेश से बाहर चले जाएं. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी पुलिस फोर्स उन्हें बख्शेगी नहीं. रमन सिंह ने कहा कि वो नक्सलियों के रेड कॉरिडोर को विकास और शांति के ग्रीन कॉरिडोर में बदलना चाहते हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल रही है.

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रमन सिंह ने कहा, "छत्तीसगढ़ का गठन इसलिए हुआ क्योंकि यह क्षेत्रीय असंतुलन का शिकार था. राजधानी से दूर था. इतने संसाधन होने के बावजूद विकास के नाम से उपेक्षित था. हम 8-7 हजार करोड़ के बजट से शुरू करके 80 हजार करोड़ तक पहुंचे हैं. साढ़े 4 हजार मेगावाट से शुरू करके 22 हजार मेगवाट पॉवर का जेनरेशन छत्तीसगढ़ कर रहा है. न सिर्फ अपने स्टेट के लिए बल्कि दूसरे राज्यों के लिए भी छत्तीसगढ़ बिजली दे रहा है. एक दौर था जब प्रति व्यक्ति बिजली की खपत यहां 650 यूनिट थी, लेकिन आज यह 1750 यूनिट है. इस मामले में प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर दो सबसे अच्छे राज्यों में शामिल हैं. प्रति व्यक्ति आय 10 हजार से बढ़कर 92 हुई है. रमन सिंह कहते हैं कि हमने छलांग तो लगा ली है, पर मुझे लगता है कि यदि हमें देश के सबसे अच्छे तीन राज्यों में आना है तो हमको संसाधन भी चाहिए और मेहनत भी करनी पड़ेगी. हम इसमें संतुष्ट नहीं हैं कि हम यहां पर हैं."

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अगले चुनाव में क्या होगा एजेंडा

अगले साल राज्य में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में वोटर के सामने क्या लेकर जाएंगे? इस सवाल पर रमन सिंह कहते हैं, "2003 में जब हम चुनाव में खड़े हुए थे तो सामने कांग्रेस की असफलता थी. छत्तीसगढ़ को उन हालात से बाहर निकालने का वायदा था. आज हमारे विकास के काम तो हैं ही, पर अब नए युग में नई डिमांड है. पहले स्कूल, सड़क, अस्पताल वोटर के डिमांड रहते थे, लेकिन अब ये सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद वोटर कनेक्टिविटी की बात करता है. इंटरनेट, केबल, टॉवर की डिमांड आती है. हम इसपर लगातार काम कर रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता की बीजेपी को कोई दिक्कत आएगी."

रमन सिंह 14 साल से सत्ता में हैं. क्या एंटी इनकंबेंसी का डर नहीं लगता? इस सवाल पर वह कहते हैं, "एंटी इनकंबेंसी व्यवस्था का विरोध है, लेकिन व्यवस्था को हमने ठीक कर दिया है. हमने एक बेहतर व्यवस्था बनाई है. जनता की नाराजगी जिन-जिन विषयों पर हो सकती है, उनको ठीक करने का लगातार हम प्रयास करते हैं. लोगों से वन टू वन बात करके पता करते हैं. योजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन करते हैं. जनता को संतुष्ट करने के लिए मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है और हमारा मॉनिटरिंग सिस्टम लगातार काम करता है. हम काडर बेस्ड पार्टी हैं. हमारे संगठन बूथ स्तर तक हैं, जहां से हम फीडबैक लेते हैं. हमारा मॉनिटरिंग सिस्टम हर जगह है. हर जिले में 20 योजनाओं को लक्ष्य करके रखा है कि उनका क्रियान्वयन कितना हुआ है. जिलेवार उन योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की जाती है. कौन, कहां, किसमें कमजोर है, उसका पता लगाकर रिकॉर्ड सुधारने के लिए प्रेरित किया जाता है."

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रेड कॉरिडोर बनेगा ग्रीन कॉरिडोर

नक्सल समस्या पर अपने एजेंडे पर बात करते हुए रमन सिंह ने कहा, "13 साल में हम लोग काफी आगे बढ़े हैं. सरगूजा पूरी तरह से नक्सल हिंसा से मुक्त हो चुका है. बस्तर में भी हम अंदर तक गए हैं. हमने नक्सलियों को सीमित एरिया में बांधकर रखा है. हम रेड कॉरिडोर को ग्रीन कॉरिडोर में बदल रहे हैं, जहां शांति और विकास होगा. वहां के लोग भी चाहते हैं कि उनकी खेती हो, स्कूल-कॉलेज हों, स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले. हम इस दिशा में बहुत आगे बढ़ गए हैं. दंतेवाड़ा- सुकमा में हॉस्पीटल नहीं थे, वहां आज डॉक्टर बढ़े हैं. सर्जरी हो रही है. अच्छे ऑपरेशन करने वाले सर्जन भी हैं, डायलिसिस हो रही है. प्रशासन वहां बैठा है. 37 विभाग वहां बैठे हैं."

जनता नक्सलियों के विरोध में

रमन सिंह ने कहा कि बस्तर में जो बदलाव आ रहा है वह लोगों के उत्साह के कारण भी है, क्योंकि लोग हिंसा के विरोध में खड़े हो गए हैं. वे चाहते हैं कि हर घर में बिजली पहुंचे, सब पीडीएस का लाभ लें, स्कूल हों-अस्पताल हों.नक्सलियों ने बस्तर को बंधक बनाकर रखा था, आज वो बस्तर खुल रहा है. वह दिन दूर नहीं जब बस्तर में आतंक से मुक्ति मिलेगी. हमारा फोकस विकास पर है और उनपर दबाव भी हम बनाए हुए हैं. जहां वे लोगों को तंग करते हैं, वहां हमारा पुलिस फोर्स प्रशिक्षित है."

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नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील

रमन सिंह ने कहा, "हमने उनसे कहा है कि आप मुख्यधारा में आ जाओ. आप सरेंडर करिए. सरकार आपके पुनर्वास, व्यवसाय, सुरक्षा तीनों की व्यवस्था करेगी. जो बाहर के हैं उनसे कहता हूं कि आप चले जाइए यहां आपके रहने की जरूरत नहीं है. यदि टिके रहना चाहोगे तो पुलिस सख्त होगी. यूथ आज उनके पास से लौट रहा है. यही उनकी बौखलाहट है. उनका आधार गांव में समाप्त हो रहा है."

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