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भूपेश बघेल को कितनी महंगी पड़ेगी सिंहदेव की नाराजगी, कितना है सरकार पर संकट?

छत्तीसगढ़ सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले को अमल में न लाने के चलते सिंहदेव नाराज हैं. ऐसे में यह नाराजगी बघेल सरकार के लिए कितना महंगी पड़ेगी?

टीएन सिंहदेव और भूपेश बघेल टीएन सिंहदेव और भूपेश बघेल
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 18 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST
  • टीएस सिंहदेव ने क्यों मंत्री पद से दिया इस्तीफा
  • भूपेश बघेल और सिंहदेव की बीच सियासी जंग
  • बघेल सरकार पर क्या गहरा गया सियासी संकट

कांग्रेस का संकट है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. अब छत्तीसगढ़ में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया है. टीएस सिंहदेव के इस कदम को छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला लागू नहीं होने से जोड़ कर देखा जा रहा है.

हालांकि, टीएस सिंहदेव ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और जीएसटी विभाग का कार्यभार नहीं छोड़ा है. ऐसे में सिंहदेव का यह कदम भूपेश बघेल के खिलाफ बगावत है या फिर बार्गेनिंग के लिए चला गया दांव? टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा ऐसे समय में दिया है, जब सूबे में सवा साल बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस 2018 में 15 साल बाद छत्तीसगढ़ की सत्ता में लौटी थी. लेकिन इसके बाद सत्ता पर काबिज होने को लेकर सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. कहा जाता है कि ऐसे में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला तय हुआ था और भूपेश बघेल के सिर सत्ता का ताज सजा था. 

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माना जा रहा है कि सूबे में एक तरफ तो ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला लागू नहीं हुआ और इसके उलट टीएस सिंहदेव को लगातार हाशिए पर डालने की कोशिशें भी की जाती रहीं. टीएस सिंहदेव के खिलाफ उनके ही इलाके में बघेल समर्थक विधायकों ने मोर्चा खोल रखा था. ऐसे में सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि उन्हें अब तक इस्तीफा नहीं मिला है.

विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे सात विधायक

गौरतलब है कि दोनों नेताओं में टकराव के बीच रविवार को सीएम आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी जिसमें सिंहदेव शामिल नहीं हुए थे. इतना ही नहीं कांग्रेस के 71 में से 64 विधायक ही सीएलपी की बैठक में शामिल हुए. विधायक दल की बैठक से टीएस सिंहदेव समेत कुल सात विधायकों ने किनारा कर लिया था. ऐसे में कांग्रेस के अंदर छिड़ा सियासी संग्राम भी अब सतह पर आ गया है. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट भले ही नजर नहीं आ रहा, लेकिन टीएस सिंहदेव के साथ कांग्रेस के और विधायक भी जुड़ते हैं तो खतरा गहरा सकता है.

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बता दें कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव और 20 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. इस बैठक में न तो सिंहदेव शामिल हुए और न ही भूपेश बघेल से कोई बात की. हालांकि, वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना वोट डालने के लिए सोमवार को रायपुर पहुंच सकते हैं. कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने रविवार की रात कहा कि जिस तरह से सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा लिखा है, उससे कांग्रेस के ज्यादातर विधायक आहत हैं. 

रवींद्र चौबे ने कहा, 'टीएस सिंहदेव ने जिस तरह (सीएम को) पत्र लिखा है, ज्यादातर विधायकों ने इस पर सवालिया निशान खड़ा कर दिए हैं. उन्होंने जिस तरह से सरकार के कामकाज के बारे में लिखा है, उनमें से ज्यादातर आहत महसूस कर रहे हैं. मुख्यमंत्री को लिखे अपने त्याग पत्र में सिंहदेव ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बेघर लोगों के लिए एक भी घर नहीं बनाया गया, क्योंकि 'बार-बार अनुरोध' के बावजूद धन आवंटित नहीं किया गया था. फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके.

सिंहदेव ने पत्र में विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए कहा कि वह 'वर्तमान परिदृश्य' को देखते हुए घोषणापत्र के दृष्टिकोण के अनुसार विभाग के लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थ थे. साथ ही सिंहदेव ने लिखा है कि उन्होंने दो साल तक आदिवासी इलाकों में विमर्श के बाद पंचायत एक्सटेंशन इन शेड्यूल एरिया कानून के नियम बनाए लेकिन उन्हें विश्वास में लिए बिना उसमें संशोधन कर दिया गया.

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सरकार में है तालमेल- भूपेश बघेल

भूपेश बघेल ने यह बात जरूर कही है कि उन्हें अभी तक पंचायत विभाग से सिंहदेव का इस्तीफा नहीं मिला है और उन्हें मीडिया के माध्यम से ही इसकी जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि सरकार में तालमेल है. जो कुछ भी बात है, हम आपस में बैठकर तय कर लेंगे. जब मेरे पास पत्र आएगा तो विचार करूंगा. बघेल ने ये भी कहा कि मैंने उन्हें फोन मिलाया था लेकिन बात नहीं हो पाई.

बीजेपी ने सरकार पर बोला हमला

टीएस सिंहदेव के एक विभाग का कार्यभार छोड़ने के बाद विपक्षी बीजेपी को भी बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि प्रदेश के सभी मंत्रियों की हालत एक जैसी है. मंत्रियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है. टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा दिया है, दूसरे मंत्री चुप हैं लेकिन उनमें भी आक्रोश है. रमन सिंह ने कहा कि सिंहदेव ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि एक दिन ऐसा विस्फोट होगा कि महाराष्ट्र जैसी हालत हो जाएगी.

कांग्रेस के हैं 71 विधायक

बता दें कि छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. कांग्रेस के 71, बीजेपी के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के तीन और बसपा के दो विधायक हैं. बघेल सरकार के पास दो तिहाई बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा है. ऐसे में सिंहदेव अगर बगावत भी करते हैं तो उन्हें बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों को अपने साथ जोड़ना होगा. इसके बाद ही सरकार पर संकट गहरा सकता है. 

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