
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल (Reservation Bill) पास होने के बाद मामला लंबे समय से राज्यपाल अनुसूईया उइके के पास अटका हुआ है, इसलिए अब कांग्रेस आरक्षण पर राजभवन की हठ धर्मिता को लेकर 3 जनवरी को महारैली निकालने जा रही है. इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने समाज व पार्टी के सभी जिलाध्यक्षों को पत्र लिखा है.
उन्होंने आरक्षण को लेकर बीजेपी की साजिश और राजभवन के रुख पर सभी समाज के प्रमुखों से अपील की है कि वे इस महारैली को शामिल होकर अपना समर्थन दें. इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने पत्र लिखा- प्रदेशवासियों के हित में कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही जन अधिकार रैली में आप सब आमंत्रित है.
इसके लिए कांग्रेस की पूरी रणनीति तैयार हो चुकी है. उनका कहना है कि आरक्षण को लेकर बीजेपी राजभवन के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रही है. उनके इशारे पर ही राजभवन काम कर रहा है.
यहां आरक्षण बिल विधानसभा में पारित होने के बाद राजभवन में रुका हुआ है, जबकि राज्यपाल ने आरक्ष्ण बिल को लेकर 10 सवालों की सूची सरकार को भेजी थी. इसका जवाब भी भूपेश सरकार ने दे दिया था, लेकिन अभी तक बिल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. अब उनका कहना है कि वे विधिक सलाहकार से पूछ रही हैं. इस पर हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, इनके विधिक सलाहकार क्या विधानसभा से बड़े हो गए हैं.
सरकार ने दलील दी थी कि आरक्षण बिल में आदिवासियों को जो हक मिलना था, वह शामिल करते हुए 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. आरक्षण में सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए आरक्षण बिल पारित कराना कोई गलत है? राज्यपाल बीजेपी के इशारे पर रोकना चाह रही है. जवाब देने का कोई संवैधानिक प्रावधान ही नहीं है, इसके बावजूद जवाब दिया गया लेकिन फिर भी हस्ताक्षर न करना गलत है.
बिल में 76% आरक्षण का प्रावधान
इस बिल को लेकर राज्यपाल का कहना है कि मैंने सिर्फ आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था. लेकिन सरकार ने सभी का आरक्षण बढ़ा दिया.
राज्यपाल ने कहा कि विधेयक में ओबीसी समाज का 27 प्रतिशत, अन्य समाज का 4 प्रतिशत और एससी समाज का 1 प्रतिशत आरक्षण बढ़ा दिया गया है. अब मेरे सामने ये सवाल आ गया कि जब हाई कोर्ट 58 प्रतिशत आरक्षण को अवैधानिक घोषित कर चुका है तो यह 76 प्रतिशत कैसे हो गया.
राज्यपाल उइके ने कहा कि केवल आदिवासी का आरक्षण बढ़ा होता तो दिक्कत नहीं होती. अब मुझे यह देखना है कि दूसरे वर्गों का आरक्षण कैसे तय हुआ है. रोस्टर की तैयारी क्या है. एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल वर्ग के संगठनों ने मुझे आवेदन देकर विधेयक की जांच करने की मांग की है. उन आवेदनों का भी मैं परीक्षण कर रही हूं. बिना सोचे-समझे हस्ताक्षर करना ठीक नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि मैं तकनीकी तौर पर पूरी तरह समझ लूं कि सरकार की क्या तैयारी है. आज मैं साइन कर दूं, कल को कोई कोर्ट चला गया तो?
(रिपोर्ट: श्रीप्रकाश तिवारी)