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छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन सड़कों की सुरक्षा के ऑपरेशन स्थगित, नक्सल विरोधी अभियान की तैयारी

खबरों के मुताबिक ये फैसला 10-15 दिनों तक लागू रहेगा. इसके बाद बस्तर इलाके में निर्माणाधीन सड़कों की सुरक्षा से जुड़े सभी अभियान स्थगित कर दिये हैं.

छत्तीसगढ़ में सड़क सुरक्षा अभियानों पर रोक (फोटो- ANI) छत्तीसगढ़ में सड़क सुरक्षा अभियानों पर रोक (फोटो- ANI)
लव रघुवंशी
  • रायपुर,
  • 30 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST

सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ में सड़क निर्माण में सुरक्षा से जुड़े सभी ऑपरेशन बंद कर दिये हैं. सुकमा में हुए नक्सली हमले के 5 दिन बाद ये फैसला लिया गया है.

नक्सल विरोधी अभियान के तहत रणनीति
खबरों के मुताबिक ये फैसला 10-15 दिनों तक लागू रहेगा. इसके बाद बस्तर इलाके में निर्माणाधीन सड़कों की सुरक्षा से जुड़े सभी अभियान स्थगित कर दिये हैं. नक्सल-विरोधी अभियानों के स्पेशल डीजी डी एम अवस्थी ने मीडिया को बताया है कि अगले कुछ दिनों में नक्सल विरोधी अभियानों पर फोकस करने के लिए ये कदम उठाया गया है.

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रणनीति बदलने पर विचार
सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक रोड ओपनिंग ड्यूटी पर रोक का एक मकसद सड़कों की सुरक्षा को लेकर रणनीति बदलना भी है. अधिकारी मानते हैं कि बीते कुछ हमलों के दौरान रणनीति में चूक पाई गई है. मसलन बुर्कापाल में हुए हमले की शुरुआती जांच में पता चला है कि जवान ड्यूटी के दौरान रोज एक ही जगह पर आराम के लिए रुकते थे. इसके अलावा हमले के वक्त कुछ जवानों के सुस्ताने के भी सबूत मिले हैं. सीआरपीएफ सूत्रों के मुताबिक इसी जानकारी के मद्देनजर अब सड़क सुरक्षा से जुड़े नए निर्देश तैयार किये जा रहे हैं.

ऑपरेशन चलाएंगे सुरक्षा कैंप
इसके अलावा बस्तर में सीआरपीएफ के सभी सुरक्षा कैंपों को चार-पांच किलोमीटर के दायरे में ऑपरेशन चलाने के लिए कहा गया है. इसका मकसद जवानों और स्थानीय आबादी में भरोसा बढ़ाना है.

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जवानों की कब्रगाह बनती सड़कें
सरकार की रणनीति है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल-प्रभावित इलाकों को सड़कों के जरिये जोड़ा जा सके ताकि वक्त पड़ने पर यहां सुरक्षाबलों को आसानी से पहुंचाया जा सके और स्थानीय गांवों को विकास की धारा के साथ जोड़ा जा सके. लेकिन नक्सलियों के गढ़ में ये काम कठिन साबित हुआ है. ज्यादातर निर्माणाधीन सड़कों का काम बेहद सुस्त गति से चल रहा है और इनकी सुरक्षा में तैनात जवान अक्सर हमले का शिकार बनते हैं. सुकमा के बुर्कापाल में ही पिछले 2 महीनों में इस तरह के 2 हमले हो चुके हैं. इनमें सीआरपीएफ के कुल 38 जवान शहीद हुए हैं.


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