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जोरदार धमाका, धुएं का गुबार... 15 मिनट तक चली गोलियां, दंतेवाड़ा नक्सली हमले के चश्मदीद की आंखों देखी

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार दोपहर को नक्सलियों ने घात लगाकर डीआरजी के जवानों को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था. इस हमले में 10 जवान शहीद हो गए. इसके अलावा एक ड्राइवर की भी जान चली गई. जवानों के वाहन पर जब यह हमला हुआ तो काफिले में शामिल दूसरी गाड़ी का ड्राइवर इस हमले का चश्मदीद बन गया.

धमाके से सड़क पर हो गया था 5 फुट गहरा गड़्ढा धमाके से सड़क पर हो गया था 5 फुट गहरा गड़्ढा
aajtak.in
  • दंतेवाड़ा,
  • 27 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को हुए नक्सली हमले में डीआरजी के 10 जवान शहीद हो गए थे. इस घातक हमले को कुछ लोगों ने अपनी आंखों से देखा. जवानों के वाहन के ठीक पीछे आ रही एक स्कॉर्पियो के चालक ने यह सब देखा. उसका कहना है कि वह अपने पूरे जीवन में इस हमले को नहीं भूल पाएगा.

ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया-'मेरा वाहन काफिले में दूसरे स्थान पर था. मेरे वाहन में सात सुरक्षाकर्मी थे. जिस जगह धमाका हुआ, उससे 150-200 मीटर पहले मैंने पान मसाला चबाने के लिए गाड़ी धीमी कर ली थी. हमारे पीछे वाले एक मल्टी-यूटिलिटी वाहन ने हमें ओवरटेक किया और अचानक एक धमाका हो गया. इस धमाके में 10 जवान शहीद हो गए और वाहन चालक की भी जान चली गई. 

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ड्राइवर ने बताया कि विस्फोट होने के तुरंत धूल और धुएं का गुबार छंटने से पहले ही उसके वाहन में यात्रा कर रहे सभी सुरक्षाकर्मी कूद गए और सड़क के किनारे लेटकर अपने पोजिशन लेते हुए नक्सलियों को घेरने की बात कहते हुए जंगल की ओर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे. मुझे लगता है कि निशाना मेरा वाहन था लेकिन भगवान ने हमें बचा लिया.

उसने कहा- “वाहन मेरे सामने उड़ाया गया था. मैंने सड़क पर लाशों के टुकड़े और वाहन बिखरा हुए देखा. मैं पूरी तरह से चौंक गया और छिपने के लिए अपने वाहन के नीचे रेंगता हुए घुस गया. चालक ने बतया कि करीब 15 मिनट तक गोलीबारी होती रही लेकिन उसे जंगल में कोई हलचल नजर नहीं आई.

उसने बताया- “सुरक्षाकर्मियों ने मुझे अरनपुर लौटने के लिए कहा. जिसके बाद मैं हमले की जगह से लगभग एक किमी दूर पुलिस स्टेशन लौट गया. वापस लौटते समय मैंने पुलिसकर्मियों को लेकर आ रहे दो वाहनों को हमलने की जानकारी दी. हालांकि, तब तक उन्हें आभास हो गया था कि कुछ हुआ है क्योंकि विस्फोट की आवाज इतनी तेज थी कि इसे दूर से भी सुना जा सकता था. 

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हमले के समय का वीडियो हो रहा वायरल

विस्फोट के बाद मोबाइल पर रिकॉर्ड किया गया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इसमें सुरक्षाकर्मी सड़क के किनारे लेते और इलाके को घेरने के निर्देश देते दिख रहे हैं. वीडियो में गोलियों की आवाज भी सुनी जा सकती है. पुलिस के मुताबिक सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के डीआरजी के लगभग 200 जवनों ने दंतेवाड़ा के दरभा डिवीजन में मंगलवार रात माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद एक अभियान शुरू किया था. ऑपरेशन से लौटते समय नक्सलियों ने अरनपुर में उन्हें निशाना बना लिया.

ब्लास्ट के लिए 50 किलो आईईडी लगाया

जानकारी के मुताबिक अरनपुर के पालनार क्षेत्र में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) फोर्स के जवानों से भरे वाहन को नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट से उड़ाया. नक्सलियों ने सड़क के बीच में लैंडमाइन बिछा रखी थी. उन्होंने करीब 50 किलो का आईईडी प्लांट कर रखा था. धमाका इतना जोरदार था कि सड़क पर करीब 5 फुट गहरा गड्ढा हो गया. 

नक्सलियों ने रची TCOC साजिश 

जुटी सुरक्षा एजेंसियों ने आजतक को एक्सक्लूसिव जानकारी दी कि नक्सली मार्च से जून के बीच टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (TCOC) चलाते हैं. उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा बलों पर हमला कर नुकसान पहुंचाना होता है. सूत्रों ने बताया है कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के साउथ बस्तर में ही टीसीओसी चलाने का प्लान नहीं बनाया है बल्कि उन्होंने काफी सालों बाद अब नए ट्राई जंक्शन के नजदीक सुरक्षा बलों पर हमला करने का टीसीओसी प्लान तैयार किया है.

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टीसीओसी को चौथा सबसे ज्यादा रक्तपात करने वाला महीना कहा जाता है क्योंकि नक्सली इस दौरान न केवल बड़े नक्सली हमले करते हैं बल्कि वे बड़ी संख्या में नए नक्सलियों की भर्ती भी करते हैं. साथ ही टीसीओसी के दौरान नक्सली नए सदस्यों को घात लगाकर जवानों पर हमला करने की ट्रेनिंग देते हैं. साथ ही, नए सदस्यों को पकड़े और मरे बिना सुरक्षा बलों के हथियारों और गोला-बारूद लूटने की भी ट्रेनिंग दी जाती है.

हमले में ये जवान हो गए हैं शहीद

जानकारी के मुताबिक नक्सली हमले में प्रधान आरक्षक जोगा सोढी, मुन्ना राम कड़ती, संतोष तामो, नव आरक्षक दुल्गो मण्डावी, लखमू मरकाम, जोगा कवासी, हरिराम मण्डावी, गोपनीय सैनिक राजू राम करटम, जयराम पोड़ियाम, जगदीश कवासी शहीद हो गए. वहीं निजी वाहन का चालक धनीराम यादव की भी इस हमले में जान चली गई.

एक चूक से नक्सलियों को मिल गया मौका

जानकारी के मुताबिक बस्तर में जगह-जगह नक्सलियों ने बारूद लगा रखा हैं. अकसर सर्च ऑपरेशन पर निकले जवानों को हिदायत दी जाती है कि कोई भी वाहन का उपयोग नहीं करेगा लेकिन डीआरजी के जवानों ने चूक कर दी. उन्होंने वह वाहन में सवार होकर लौट रहे थे. इससे नक्सलियों को मौका मिल गया और उन्होंने धमाका कर दिया.

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