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छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में एक बार फिर पढ़ाई लिखाई ठप होने की आशंका बढ़ गई है. राज्य भर के लगभग 40 हजार शिक्षाकर्मी अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं. दीपावली के बाद माना जा रहा था कि सरकारी शिक्षण संस्थाओं में पाठ्यक्रम पूरा करने को लेकर तेजी आएगी ताकि मार्च-अप्रैल में वार्षिक परीक्षाएं अपने समय पर खत्म हो सकें लेकिन शिक्षा करनी संगठनों के हड़ताल में जाने की चेतावनी से छात्र और अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है.
शिक्षाकर्मी संगठनों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर 30 अक्टूबर को हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. उनके मुताबिक अगर सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती तो 20 नवंबर से लगभग 40 हजार शिक्षाकर्मी अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जाएंगे.
बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्राथमिक, मिडिल और हाई स्कूल की शिक्षा व्यवस्था में शिक्षाकर्मियों का विशेष योगदान है. इन्हीं के सहारे ही स्कूलों में पढ़ाई लिखाई हो रही है. तीन साल पहले शिक्षाकर्मियों ने ऐसे ही आंदोलन की राह पकड़ी थी जिससे स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई थी. लगभग दो महीने तक आंदोलन खींचने से ना तो स्कूली बच्चे पाठ्यक्रम पूरा पढ़ पाए और ना ही परीक्षाओं में अच्छा रिजल्ट ला पाए. इस दौरान शिक्षाकर्मियों पर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगा था. एक बार फिर ऐसी ही स्थिति बन गई है.
प्रदेश के सभी 146 विकासखंडों में शिक्षाकर्मियों की हड़ताल के चलते सभी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई ठप होने का अंदेशा बढ़ गया है. शिक्षाकर्मी सयुंक्त मोर्चे के अध्यक्ष संजय शर्मा के मुताबिक लंबे समय से 'समान काम समान वेतन' की मांग की जा रही है. वे सामान्य शिक्षकों के अनुरूप काम करते है लेकिन उनकी तुलना में शिक्षाकर्मियों का वेतन लगभग आधा है. उधर शिक्षाकर्मी संगठनों के रुख को देखते हुए सरकार भी एस्मा लगाने की तैयारी में जुट गई है. सरकारी प्रवक्ता और MLA श्रीचंद सुंदरानी के मुताबिक शिक्षाकर्मियों के हित में सरकार ने दर्जनों फैसले लिए हैं लेकिन चुनावी साल में मन मांगी मुरादे पूरी करने को लेकर शिक्षाकर्मी दबाव बना रहे हैं. उन्होंने साफ किया कि सरकार शिक्षाकर्मियों के दबाव में नहीं आने वाली.