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छत्तीसगढ़ में बूथ मैनेजमेंट के जरिए फिर सत्ता की वापसी में जुटी BJP, बनाया खास प्लान

छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से ही बूथ प्रबंधन की रणनीति पर जोर देती रहा है और छत्तीसगढ़ में भी इसी रणनीति के तहत बीजेपी आगे बढ़ रही है.

बीजेपी और संघ बना रहे हैं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीति बीजेपी और संघ बना रहे हैं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीति
सुमी राजाप्पन
  • रायपुर,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. आदिवासी बहुल राज्य में कांग्रेस अपनी सत्ता को बचाए रखने की कवायद कर रही है तो बीजेपी अपनी वापसी के लिए बेताब है. वहीं, अजीत जोगी की जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़), बहुजन समाज पार्टी, आप, नई पार्टी सर्व आदिवासी समाज जैसे दलों ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. 

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मिशन-छत्तीसगढ़ को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए लंबी मैराथन बैठकों का दौर जारी है. बीजेपी के मास्टर प्लान में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करना सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके जरिए पांच साल पहले हारी बाजी को जीतने का प्लान है? 

पन्ना प्रमुखों को अहम जिम्मा

पार्टी तहसील और ब्लॉक स्तर पर अपने संगठन को मजबूत कर रही है. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए पार्टी चौबीसों घंटे काम कर रही है. इंडिया टुडे के सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी अपनी जीत के उस फॉर्मूले को अपना रही है जिसे उसने 2014 के लोकसभा चुनावों में लागू किया था. आरएसएस ने पन्ना प्रभारियों की एक टीम तैयार की है और एक पन्ना प्रभारी को 60 वोटरों की जिम्मेदारी दी गई है.

पन्ना प्रभारी की भूमिका यहां काफी अहम मानी जाती है. पन्ना प्रभारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें जिस पन्ने की जिम्मेदारी दी गई है, उस पन्ने में मौजूद हर परिवार का वोट सत्ता परिवर्तन के लिए भाजपा के पक्ष में पड़े. इसके लिए उन्हें वोटरों के संपर्क में निरंतर बने रहना होगा.

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जहां अन्य राजनीतिक दल बूथ के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त करते हैं, वहीं बीजेपी ने अपने 'बूथ सशक्तिकरण अभियान' को बेहतर बनाने के लिए हर बूथ पर 31 कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया है. इन सदस्यों को वोटर की हर जानकारी को फॉर्म में भरना होगा और बाद में फिर डिजिटल रूप में भी सबमिट करना होगा. जानकारी को सही ढंग से भरना होगा, अन्यथा 'सरल पोर्टल' इसे एक्सेप्ट नहीं करेगा.

नेताओं को विधानसभाओं की जिम्मेदारी

प्रत्येक विधानसभा में बूथ स्तर पर चुनाव परिणामों का विश्लेषण करने के लिए समीक्षा बैठकें आयोजित होंगी. बीजेपी के प्रदेश महासचिव ओपी चौधरी को इन बैठकों का प्रभारी बनाया गया है. उनके अलावा बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, डॉ. रमन सिंह जैसे 38 नेताओं को विभिन्न विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई है. ये नेता स्थानीय स्तर पर उन क्षेत्रों का दौरा करेंगे और अपनी पार्टी दस्तावेज़ में निर्धारित 24 बिंदुओं पर चर्चा करेंगे.

इन नेताओं को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक बूथ में हर जाति और हर इलाके का प्रतिनिधित्व हो और सर्वव्यापी तथा सर्व समावेशी की राजनीतिक भावना इसमें निहित हो.  मतदाताओं से जुड़ने के लिए हर बूथ पर व्हाट्सएप ग्रुप भी होंगे. इन व्हाट्सएप ग्रुप में संबंधित वोटर्स के लिए राजनीतिक और संगठन से जुड़े लोग एडमिन भी होंगे.

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काम करने की इस शैली के परिणाम 2023 के उत्तर प्रदेश चुनावों में भी मिले थे. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह नई रणनीति उसी तरह भारी जीत में तब्दील होगी जो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली थी? इसके लिए हमें छह महीने इंतजार करना होगा.

2018 में कांग्रेस ने हासिल की थी शानदार जीत

आपको बता दें कि इसी साल के अंत में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए मतदान होना है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की थी. पार्टी ने 90 में 68 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं बीजेपी, जो यहां 15 सालों से सत्ता पर काबिज थी वह महज 15 सीटों तक ही सिमटकर रह गई थी. 

 

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