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छत्तीसगढ़: चंदा उगाही के लिए फर्जी राजनीतिक पार्टी का गठन

राज्य के कारोबारी ने पुलिस को जानकारी दी कि कुछ लोग उनके पास एक लाख रुपये का चंदा मांगने आए थे लेकिन उन्होंने उन्हें चंदा देने से इंकार किया तो उनके साथ मारपीट की गई. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. घटना रायपुर के गुढ़ियारी इलाके की है.

पुलिस ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार पुलिस ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार
परमीता शर्मा/सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 23 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही अवैध रूप से चंदा उगाही का गोरखधंधा पनपने लगा है. हाल ही में ऐसा मामला रायपुर से सामने आया है जहां एक राजनीतिक दल का गठन कर कुछ लोग उसके फाउंडर मेंबर और कार्यकर्ता बन गए. इस राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन करवाए बिना ये कार्यकर्ता वसूली करने में जुट गए हैं. इतना ही नहीं चंदा उगाही के लिए ये लोग मारपीट करने तक से नहीं चूके.

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राज्य के कारोबारी राकेश साहू ने पुलिस को जानकारी दी कि कुछ लोग उनके पास एक लाख रुपये का चंदा मांगने आए थे लेकिन उन्होंने उन्हें चंदा देने से इंकार किया तो उनके साथ मारपीट की गई. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. घटना रायपुर के गुढ़ियारी इलाके की है.

जानकारी के मुताबिक गुढ़ियारी इलाके में ट्रेडिंग कारोबारी  का दफ्तर है जहां करीब हफ्ते भर से कुछ लोग उनसे 1 लाख रुपये चंदे की मांग कर रहे थे. राकेश साहू ने उन्हें अपनी हैसियत के अनुरूप चंदा देने की बात कही, लेकिन उन कार्यकर्ताओं ने एक लाख से कम की रकम लेने से इंकार कर दिया.

पुलिस के मुताबिक सोमवार रात अमनदीप राकेश के दफ्तर पहुंचा और उसने पार्टी फंड के नाम पर एक लाख रुपये तत्काल देने की मांग रखी. राकेश ने इतनी बड़ी रकम बतौर चंदा देने से मना कर दिया. इससे नाराज होकर अमनदीप उस समय उन्हें धमकी देकर चला गया लेकिन कुछ देर बाद अमनदीप अपने दोस्तों और साथी कार्यकर्ताओं के साथ राकेश साहू के दफ्तर पहुंचा और उनके कर्मचारियों के साथ मारपीट की और दफ्तर में तोड़फोड़ भी की.

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इस घटना की जानकारी पुलिस को दी गई, सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रंजीत सिंह, अमरेंदर सिंह और चरणजीत सिंह समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर कई राजनीतिक और सामाजिक संगठन सामने आ रहे हैं जिनमें से ज्यादातर राजनीतिक संगठन अधिकृत रूप से ना तो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हैं और ना ही राज्य निर्वाचन आयोग में, जिसके चलते आम लोग अवैध उगाही का शिकार हो रहे हैं.

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