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छत्तीसगढ़ सरकार ने CBI को सौंपी 6 हजार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले की जांच, पूर्व CM भूपेश बघेल भी हैं आरोपी

छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने 6000 करोड़ रुपये के महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप से जुड़े मामले की जांच आधिकारिक रूप से CBI को सौंप दी है. इस बहुचर्चित मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई अन्य के नाम आरोपी के रूप में शामिल हैं.

CBI करेगी महादेव बेटिंग ऐप घोटाले की जांच CBI करेगी महादेव बेटिंग ऐप घोटाले की जांच
सुमी राजाप्पन
  • रायपुर,
  • 26 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

छत्तीसगढ़ सरकार ने 6000 करोड़ के महादेव बेटिंग ऐप घोटाले की जांच आधिकारिक तौर पर सीबीआई को सौंप दी है. ईडी ने पिछले साल जनवरी में इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद इसका जिम्मा एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया था.

इस साल लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले, 4 मार्च को एसीबी द्वारा दायर चार्जशीट में भूपेश बघेल को आरोपी बनाया गया था. भूपेश बघेल के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 11 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

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महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप मामला तब से सुर्खियों में आया, जब ईडी ने दावा किया कि उसने एक 'कैश कूरियर' के ईमेल स्टेटमेंट को रिकॉर्ड किया है, जिसमें खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यूएई में स्थित ऐप प्रमोटरों से कथित तौर पर 508 करोड़ रुपये लिए थे.

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क्या है महादेव बेटिंग ऐप घोटाला?

महादेव बेटिंग ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया ऐप था. इस पर यूजर्स पोकर, कार्ड गेम्स, चांस गेम्स नाम से लाइव गेम खेलते थे. ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों और चुनावों में अवैध सट्टेबाजी भी की जाती थी. अवैध सट्टे के नटवर्क के जरिए इस ऐप का जाल तेजी से फैला और सबसे ज्यादा खाते छत्तीसगढ़ में खुले. इस ऐप से धोखाधड़ी के लिए एक पूरा खाका बनाया गया था.

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फ्रेंचाइजी के रूप में बेचते थे ब्रांच

दरअसल, महादेव बेटिंग ऐप कई ब्रांच से चलता था. हर ब्रांच को सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल फ्रेंचाइजी के रूप में बेचते थे. यूजर को सिर्फ शुरुआत में फायदा और बाद में नुकसान होता. फायदे का 80% हिस्सा दोनों अपने पास रखते थे. सट्टेबाजी ऐप रैकेट एक ऐसी मशीन की तरह काम करता है, जिसमें एल्गोरिदम यह तय करता है कि ऐप में अपना पैसा लगाने वाले केवल 30% ग्राहक ही जीतें.

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जूस बेचते-बेचते बन गया सट्टेबाजी किंग

कुछ साल पहले तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सौरभ चंद्राकर 'जूस फैक्ट्री' के नाम से जूस की दुकान चलाता था. रोड साइड जूस बेचने वाले की आय तो सीमित होती है, लेकिन सौरभ चंद्राकर को कुछ बड़ा करना था, मोटा पैसा कमाना था. पहले तो उसने अपनी जूस की दुकान को ही फैलाना शुरू किया, छत्तीसगढ़ के कई शहरों में जूस फैक्ट्री नाम से दुकानें खुलीं.

सौरभ चंद्राकर को जूस बेचने के साथ-साथ सट्टा खेलने की भी आदत थी. पहले वह ऑफलाइन सट्टा खेलता था. लेकिन कोरोना की वजह से ऑनलाइन सट्टा खेलने लगा. लॉकडाउन के दौरान उसने सट्टेबाजी ऐप बनाने का फैसला किया और रवि उप्पल नामक शख्स के साथ महादेव बेटिंग ऐप शुरू कर दिया.

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