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हाईकोर्ट ने रेप की शिकार 13 साल की बच्ची को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने इस संबंध में एक मेडिकल टीम से एक रिपोर्ट जमा कराने को कहा था.
मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 13 साल की आदिवासी लड़की को गर्भपात कराने की इजाजत दी है. पीड़िता के वकील रोहित शर्मा ने बताया कि जस्टिस संजय के अग्रवाल ने 2 फरवरी को इस संबंध में मेडिकल रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल, रायपुर के डीन की अगुवाई में गर्भपात कराने की प्रक्रिया पर निगरानी रखेंगे. पीड़िता नारायणपुर जिले की रहने वाली है. उसके साथ 4 लोगों ने अलग-अलग समय में रेप किया था. पूरा मामला उस समय प्रकाश में आया जब वह गर्भवती हो गई. इसके बाद केस दर्ज कराया गया.
नारायणपुर जिले बाल कल्याण समिति ने जगदालपुर मेडिकल कॉलेज से कहा है कि कि पीड़िता की मेडिकल परीक्षण किया जाए. रिपोर्ट के अनुसार, हॉस्पिटल का कहना है कि वह 22 से 24 हफ्ते की गर्भ से है. हालांकि हॉस्पिटल ने गर्भपात के मामले में कोर्ट में मामला होने का हवाला देकर किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया.
कानून कहता है कि 20 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ होने के बाद किसी भी महिला का गर्भपात नहीं कराया जा सकता, ऐसा किए जाने से महिला की जिंदगी पर खतरा बन सकता है.
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी. 31 जनवरी को हाईकोर्ट ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया कि वह पीड़िता का परीक्षण कर रिपोर्ट यहां सौंपे. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भपात कराया गया तो उम्र, गर्भधारण का समय और स्वास्थ्य को देखते हुए लड़की की जान खतरे में पड़ सकती है.
हालांकि पीड़िता एनेमिया से भी पीड़ित है. ऐसी स्थिति में गर्भधारण की पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है तो भी उसकी जान पर खतरा बन सकता है. हाईकोर्ट पूरे मामले में विगत में सुप्रीम कोर्ट के ऐसे मामलों में दिए गए फैसलों पर भरोसा कर रहा है.
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता के ऑपरेशन का खर्च, दवा और इस दौरान उसके तथा उसके माता-पिता के यात्रा का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.