
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने भारत सरकार की नवरत्न कंपनियों में से एक NMDC यानी नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को जगदलपुर में टाउनशिप बनाने के लिए 1200 करोड़ का टेंडर 2017 में जारी किया था. इस प्रोजेक्ट में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है.
इस टाउनशिप के निर्माण और डिजाइन के लिए आर्किटेक्चर कंसल्टेंसी के बतौर एके. एसोसिएट्स इंदौर और डिजाइन एसोसिएट्स नोएडा की कंपनी ने आवेदन भरा. नियत तिथि के बाद जब टेंडर खुला और कंपनियों के दस्तावेजों की पड़ताल शुरू हुई तो दोनों ही कंपनियों के कई दस्तावेज फर्जी पाए गए.
इसके बाद हाउसिंग बोर्ड ने आखिरकर दोनों ही कंपनियों के टेंडर निरस्त कर दिए, लेकिन दोनों ही कंपनियों से परदे के पीछे चल रही डील के तहत उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही ना करने के लिए लीपापोती शुरू हो गई है. जांच में पाया गया कि निविदा टेंडर की शर्तों को पूरा करने के लिए दोनों ही कंपनियों ने तकनीकी दस्तावेजों में गड़बड़ी की.
ज्यादातर दस्तावेजों के कम्प्यूटर प्रिंट को हैंडराइटिंग से भरा गया, ताकि शर्तों को पूरा किया जा सके. मूल दस्तावेजों और कम्प्यूटर प्रिंट दस्तावेजों के मेल नहीं खाने से दोनों ही कंपनियों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया. छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड कॉर्पोरेशन के कमिश्नर सिद्धार्थ कोमल परदेसी के मुताबिक दोनों ही कंपनियों के खिलाफ जल्द कार्यवाही की जायेगी, लेकिन जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद नियमानुसार FIR दर्ज कराने में आखिर क्यों लेटलतीफी बरती जा रही है, इस सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.
दोनों ही कंपनियों के खिलाफ नियमानुसार होने वाली कार्यवाही के तहत पहले फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों पर एफआईआर दर्ज किये जाने का प्रावधान है. दूसरा ऐसी कंपनियों की धरोहर राशि सरकार जब्त करती है. यही नहीं उन कंपनियों को कम से कम दस वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टेड भी किया जाता है.
इसकी सूचना प्रचार माध्यमों के जरिए सभी सरकारी संस्थानों को मुहैया कराई जाती है. इसके साथ ही काउंसिल ऑफ आर्किटेक्ट नई दिल्ली को ऐसे फर्जीवाड़े को रोक लगाने के लिए निर्देशित किया जाता है, लेकिन अफसरों की साठगांठ के चलते इतने बड़े मामले की फ़ाइल अभी तक अफसरों ने दबाई हुई है.
यह भी बताया जा रहा है कि डिजाइन एसोसिएट्स नामक कंपनी के खिलाफ सीबीआई दिल्ली ने भ्रष्टाचार के तहत पहले ही एक मामला दर्ज कर रखा है. यह मामला ESIC अर्थात एम्प्लॉय स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन से जुड़ा है.
जारी हुआ नया टेंडर
बस्तर में NMDC का प्लांट इलाके की तस्वीर बदल देगा. नक्सल प्रभावित इलाका होने के चलते भारत सरकार ने यहां मूलभूत सुविधाओं के विस्तार और लोगों को रोजगार देने के लिए काफी जोर दिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अफसरशाही और भ्रष्टतंत्र के हावी होने से सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है.
इन कंपनियों के फर्जीवाड़े के बाद छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने NMDC टाउनशिप के निर्माण के लिए नए सिरे से टेंडर जारी किया है. अब उम्मीद की जा रही है कि सतर्कता के साथ फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा, क्योंकि ऐसे फर्जीवाड़े के चलते बस्तर में विकास के कार्यों में रोड़ा अटक रहा है.
बहरहाल फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ RTI एक्टिविस्ट ने सीबीआई रायपुर को महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराये हैं. उन्होंने मांग की है कि भ्रष्टाचार के इस मामले की जल्द FIR दर्ज कर उन कंपनियों और उन्हें संरक्षण देने वाले छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अफसरों के खिलाफ कार्यवाही की जाए.