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छत्तीसगढ़ में जेल प्रशासन का रक्षाबंधन पर अजीबोगरीब फरमान

इस फरमान के चलते छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेल में बंद विचाराधीन और आम कैदियों को रक्षाबंधन पर मनचाही मिठाई नहीं मिल सकेंगी. उन्हें सिर्फ बूंदी या बेसन के लडडू का स्वाद चख कर ही राखी का त्यौहार मनाना होगा.

जेल प्रशासन का अजीबोगरीब फरमान जेल प्रशासन का अजीबोगरीब फरमान
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 05 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST

छत्तीसगढ़ के जेल विभाग ने राखी के मौके पर अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. ये फरमान राखी की रस्म अदायगी के दौरान भाई का मुंह मीठा कराने से जुड़ा है. जेल प्रशासन के मुताबिक बहनें सिर्फ सौ ग्राम मिठाई और वो भी सिर्फ बूंदी या बेसन के बेसन लडडू ही लेकर आ सकेंगी. जबकि खोआ से बनी मिठाइयों पर बैन लगाया गया है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि खोए से बनी मिठाई में फफूंद जमती है, जबकि बूंदी या बेसन का बेसन लडडू कई दिनों तक रखा जा सकता है. यह फरमान राज्य की सभी आधा दर्जन सेंट्रल जेल में लागू होगा, इन जेलों में लगभग 25 हजार कैदी हैं.

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इस फरमान के चलते छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेल में बंद विचाराधीन और आम कैदियों को रक्षाबंधन पर मनचाही मिठाई नहीं मिल सकेंगी. उन्हें सिर्फ बूंदी या बेसन के लडडू का स्वाद चख कर ही राखी का त्यौहार मनाना होगा. कैदी अपनी मनपसंद मिठाई का ना तो स्वाद चख पाएंगे और ना ही बहने उसे जेल तक के लेकर आ सकेंगी. जेल में बंदियों को राखी बांधने और उनका मुंह मीठा कराने के मामले में जेल प्रशासन के फरमान पर गृह विभाग की मुहर भी लग गई है. इसके मुताबिक बंदियों के लिए उनकी बहने सिर्फ सौ ग्राम मिठाई और राखी ही जेल के भीतर ले जा सकेंगी.

जेल प्रशासन की माने तो कैदियों के परिजन अपने साथ सिर्फ बूंदी या बेसन के लडडू लेकर आ सकेंगे. आमतौर पर ज्यादातर मिठाइयां खोया और दूसरे दूध उत्पादों से बनी होती है, लेकिन ये मिठाइयां बहने अपने भाइयों को नहीं खिला पाएंगी. भले ही उन्हें ये मिठाइयां भाती हो. सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा ने इस फरमान पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि त्योहारों के मौको पर खाने-पीने की चीजों पर इस तरह से पाबंदी नहीं लगाना चाहिए. जेल प्रशासन को मानवीय दृष्टिकोण अपना कर फैसला वापस लेना चाहिए.

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उधर, जेल प्रशासन के इस अजीबोगरीब फरमान से महिलाएं हैरत में है, क्योंकि इससे पहले कभी भी त्यौहार के मौके पर मिठाइयों को लेकर किसी भी तरह की पाबंदी का सामना उन्हें नहीं करना पड़ा था, लेकिन पीड़ित बहने जाए भी तो कहां? जेल प्रशासन ने अपना फरमान सुना दिया है और एक दिन बाद ही रक्षाबंधन है. लिहाजा कई बहनों ने अपनी शिकायत सामाजिक संगठनों से की है. यह पहला मौका है, जब छत्तीसगढ़ के जेल प्रशासन ने किसी त्यौहार को लेकर इस तरह का सर्क्युलर जारी किया है. कई महिला संगठनों ने इस फरमान को रद्द करने की मांग की है. इससे पहले कैदियों को उनकी बहनें राखी पर उनकी मनपसंद की मिठाइयां खिलाती थीं.

 

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