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छत्तीसगढ की जेलों में ‘हनुमान कथा’ के लिए साधु ने मांगे लाखों, पसोपेश में जेल प्रशासन

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में एक नागा साधु की चिट्ठी चर्चा का विषय बनी हुई है. इस चिट्ठी ने राज्य के डीआईजी जेल के.के. गुप्ता को मुश्किल में डाल दिया है.

रायपुर जेल रायपुर जेल
दिनेश अग्रहरि/सुनील नामदेव/खुशदीप सहगल
  • रायपुर ,
  • 01 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:13 PM IST

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में एक नागा साधु की चिट्ठी चर्चा का विषय बनी हुई है. इस चिट्ठी ने राज्य के डीआईजी जेल के.के. गुप्ता को मुश्किल में डाल दिया है. दरअसल, नागा साधु ने छत्तीसगढ़ की 5 सेंट्रल जेलों में हनुमान कथा वाचन के लिए गुप्ता को चिट्ठी लिखी.

इस चिट्ठी को पढ़कर गुप्ता बहुत खुश हुए कि इससे कैदियों को प्रेरणा मिलेगी और उनके आचरण में सुधार आएगा. साथ ही कैदी अच्छे नागरिक बन कर जेल से रिहा होंगे. गुप्ता ने इसके बाद नागा साधु को जेल में हनुमान कथा के लिए अनुमति दे दी. डीआईजी जेल ने साथ ही नागा साधु को ये भी साफ़ कर दिया कि कथा वाचन निःशुल्क होगा, क्योंकि इस तरह के कार्यक्रमों के लिए किसी बजट का प्रावधान नहीं है. लेकिन नागा साधु को यह शर्त पसंद नहीं आई. उन्हें जेल प्रशासन का इस तरह अनुमति देना इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय तक का दरवाजा खटखटा दिया.

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नागा साधु ने जेल में होने वाली प्रत्येक हनुमान कथा के लिए ढाई लाख रुपये का पारिश्रमिक तय किया है. इसके अलावा ये भी कहा है कि कथा के दौरान भजन मंडली, संगत और प्रसाद वितरण के लिए खर्च होने वाली रकम का भुगतान भी जेल प्रशासन को करना होगा.

नागा साधु की इस मांग पर डीआईजी जेल गुप्ता पसोपेश में है. एक ओर तो वह नागा साधु को नाराज नहीं करना चाहते, वहीं, दूसरी ओर उनके लिए दिक्कत है कि ‘हनुमान कथा’ जैसे आयोजन के लिए सरकार की ओर से बजट का कोई प्रावधान नहीं है.

इस सारे किस्से की शुरुआत हुई 16 अक्टूबर को हुई. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की संवाद तहसील के मरदाना गांव में रहने वाले नागा साधु उमेशदास निर्मोही ने डीआईजी जेल को चिट्ठी भेजी. इस चिट्ठी में रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, दुर्ग और जगदलपुर जेलों में 9 दिवसीय हनुमान कथा वाचन का प्रस्ताव दिया गया.

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दक्ष‍िणा नहीं तो कथा नहीं

 डीआईजी जेल की ओर से हनुमान कथा के लिए बजट ना होने की बात कहे जाने पर नागा साधु निर्मोही ने बाकायदा मुख्यमंत्री सचिवालय को चिट्ठी लिखकर कथा वाचन के लिए बजट प्रस्तावित करने के लिए कहा है. चिट्ठी में नागा साधु ने लिखा है कि अगर एडवांस दक्षिणा और अन्य सामग्रियों की मांग पूरी नहीं हुई तो कथा का आयोजन संभव नहीं होगा.

मुख्यमंत्री सचिवालय को चिट्ठी में नागा साधु ने लिखा, 'मैं एक अंकिचन विरक्त साधु हूं.  चूंकि आयोजन 9 दिन तक रोज तीन घंटे संगीतमय एवं सुव्यवस्थित मंच पर होता है. संगीत के लिए कम से कम पांच कलाकार,  पूजन के लिए एक साथी और भोजन , वस्त्र आदि की दो सेवादार व्यवस्था करते है. कुल 9 और 10 लोग साथ होते है तो उनकी गृहस्थी निःशुल्क कैसे चल सकती है? बेहतर हो जेल प्रांगण में कथा के लिए उचित मंच बनाया जाए. मिक्सर व माइकसाउंड की व्यवस्था हो. प्रतिदिन कोई न कोई अधिकारी सपत्नीक पूजा और आरती के दौरान उपस्थित रहे. उस दिन का प्रसाद भी उसी की तरफ से वितरित हो. प्रदेश में पांच जेल हैं, इसलिए कब, किस जेल में कथा होगी, उसके लिए रोस्टर बना लिए जाए. प्रत्येक कथा के लिए ढाई लाख रुपए भुगतान करना होगा. इस ढाई लाख में एक लाख अग्रिम भुगतान आठ दिन पहले देना होगा. बेहतर होगा सरकार जेल में होने वाली कथा के लिए एक बजट निर्धारित कर दे और उसे जेल विभाग को सौंप दे.'   

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फिलहाल मुख्यमंत्री सचिवालय को नागा साधु की ये चिट्ठी मिल चुकी है. नियमों का कोई प्रावधान नहीं होने की वजह से ये चिट्ठी फाइलों में कैद हो गई है. नागा साधु को लगता है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में है, इसलिए कथा वाचन के लिए बजट तैयार करने में उसे कोई दिक्क्त नहीं होनी चाहिए. बहरहाल नागा साधु को इस हकीकत का नहीं पता कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह आर्थिक संकट के चलते कई बार दिल्ली तक दौड़ लगा चुके हैं. यही नहीं वित्त प्रबंधन के लिए कई बार राज्य सरकार को अपनी प्रतिभूति बेचने की नौबत भी आ चुकी है.

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