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GST के कारण मुश्किल में छत्तीसगढ़ के मूर्तिकार

मूर्तियां बनाने के उपयोग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल से लेकर सौंदर्य सामग्रियों पर GST लग गया है. इसके चलते तमाम चीजें महंगी हो गई हैं. इससे मूर्तियों के दाम में भी फर्क पड़ा है. जो मूर्तियां GST लागू होने के पहले 21 सौ रुपये की आती थी, वो अब सीधे 36 सौ रुपये की हो गई हैं.

गणेश प्रतिमाएं गणेश प्रतिमाएं
सुनील नामदेव/सुरभि गुप्ता
  • रायपुर,
  • 22 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

GST की वजह से गणेश जी की मूर्तियां डेढ़ गुनी तक महंगी हो गई हैं. कपड़े पर पांच फीसदी, कलर पर 18 और सौंदर्य सामग्री पर 28 फीसदी तक GST लग जाने की वजह से मूर्तियों के दाम में इजाफा हो गया है. इसकी वजह से मूर्तियों का कारोबार ठंडा पड़ गया है. महाराष्ट्र के बाद छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां घर-घर में गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. गणेश उत्सव आने वाला है, लेकिन कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं क्योंकि ग्राहकों का टोटा है. मूर्तिकारों के मुताबिक नो प्रॉफिट नो लॉस में गणेश प्रतिमाएं मुहैया कराये जाने के बावजूद भक्त उसे खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.

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मूर्तिकारों की माना बस्ती वीरान

छत्तीसगढ़ में मूर्तियों के कारोबार के लिए प्रसिद्ध माना बस्ती में मूर्तिकार खाली बैठे हैं. कारीगरों के पास काम नहीं है. वहीं दूसरी ओर माना बस्ती में वीरानी छाई है. दूर-दूर तक ग्राहकों का पता नहीं है. आमतौर पर गणेश उत्सव से महीने भर पहले तक इस इलाके में मूर्तियों की बुकिंग कराने वालों का तांता लगा रहता था. लेकिन GST ने ऐसी फिजा बदली है कि कारोबार ठप्प पड़ गया है. गाहे बगाहे भक्त आते हैं, लेकिन मूर्तियों का दाम सुन कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं. कारीगर भी क्या करें.

इसलिए महंगी हुईं मूर्तियां

मूर्तियां बनाने के उपयोग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल से लेकर सौंदर्य सामग्रियों पर GST लग गया है. इसके चलते तमाम चीजें महंगी हो गई हैं. इससे मूर्तियों के दाम में भी फर्क पड़ा है. जो मूर्तियां GST लागू होने के पहले 21 सौ रुपये की आती थी, वो अब सीधे 36 सौ रुपये की हो गई हैं. यही नहीं छोटी मूर्तियों के दाम में भी 35 से 40 फीसदी तक इजाफा हो गया है. मूर्तिकार कहते हैं कि उन्होंने मूर्तियों के दाम में कोई इजाफा नहीं किया है, लेकिन उसे बनाने वाले सामग्री के दाम में बढ़ोतरी हो जाने से मूर्तियों की कीमतें बढ़ी हैं.

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लागत मूल्य निकालने में कठिनाई

कारीगर सदानंद राणा के मुताबिक मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली हर एक सामग्री पर GST लगा है. ज्यादातर माल बाहरी राज्यों से आता है. यही नहीं कारीगर अपने अनुसार वस्तुएं खरीदने महानगरों तक जाते हैं. ऐसे में मूर्तियों के दाम बढ़ना स्वाभाविक है. राज्य की प्रसिद्ध मूर्तिकार रेणुका देवी को अंदेशा है कि इस बार गणेश और दुर्गा उत्सव में GST के हावी होने से त्योहारी रौनक फीकी रहेगी. उनके मुताबिक आम इस्तेमाल में होने वाली वस्तुएं महंगी होने से मूर्तिकला का कारोबार ठप्प पड़ गया है. भक्त मूर्ति का वास्तविक दाम भी देने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में उन्हें लागत मूल्य निकालने में कठिनाई हो रही है.

मूर्तिकारों को भक्तों का इंतजार

गणेश भक्तों को इसकी कीमतें भारी ना पड़े, इसके चलते मूर्तिकारों ने गणेश प्रतिमाओं का आकार भी कुछ कम कर दिया है ताकि सामग्रियों की खपत कम हो और कीमतें कमोबेश ऐसी हो जाए की आम भक्तों को गणेश जी सहज उपलब्ध हो जाएं. राज्य में 10 हजार से ज्यादा कारीगरों का परिवार सिर्फ मूर्ति कला पर निर्भर है. साल भर रायपुर की माना बस्ती में मूर्तियां बनाई जाती हैं. यहां से गणेश जी, दुर्गा जी और काली जी की मूर्तियां राज्य के पड़ोसी प्रदेशों में भी भेजी जाती हैं, लेकिन इस बार महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और झारखंड से पहले की तुलना में मूर्तिकारों को ऑर्डर नहीं मिले हैं.

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मूर्तियों के कारोबार में GST के लागू होने के पहले कभी भी मंदी नहीं आई. त्यौहार आते-आते तमाम मूर्तियां हाथों हाथ बिक जाती हैं. यही नहीं मूर्तिकारों को इतने अधिक बुकिंग ऑर्डर मिलते हैं कि वो बड़ी कठिनाई से भक्तों को मूर्तियां मुहैया करा पाते हैं, लेकिन ये पहला मौका है जब मूर्तिकारों को भक्तों की राह ताकनी पड़ रही है.

 

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