
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह इन दिनों राज्य के तूफानी दौरे पर है. उन्होंने ऐलान किया है कि वो भरी गर्मी में 45 डिग्री तापमान के बीच राज्य के किसी भी इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे. ग्रामीण इलाका हो या शहर का कोई भी हिस्सा. वहां जा कर वो जनता से रूबरू होंगे. उनकी समस्याओं का जायजा लेंगे.
नक्सली इलाके में पहुंचे सीएम
सीएम इस दौरान सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की उनके कामकाज के बारे में मैदानी हकीकत से वाकिफ होंगे. रमन सिंह के मुताबिक उनके इस कदम से लोक सुराज की परिकल्पना हकीकत में साकार हो सकेगी. लिहाजा वो अपनी जान जोखिम में डाल कार राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित बस्तर के अभुझमाड़ इलाके में गए. रमन सिंह इस इलाके में अचानक पहुंचे. उनके दौरे की खबर सिर्फ उनके स्टाफ को थी. अभुझमाड के रास्ते में पड़ने वाले CRPF के कैम्प के पास मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरा. इसके बाद मोटर साइकल में सवार होकर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अभुझमाड इलाके में बसे आदिवासियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं का मौके पर ही निराकरण करने के लिए चौपाल लगाई.
इलाके में लैंड माइन से बचने के लिए सुरक्षा बलों के जवान चौपहिया वाहनों के बजाये मोटर साइकल का इस्तेमाल करते है. लिहाजा रमन सिंह भी जवानों के साथ मोटर साइकल पर बैठ कर गांव के दौरे पर निकल पड़े. मोटर साइकल पर सवार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बड़ी बेफिक्री के साथ राज्य के सबसे ज्यादा संवेदनशील नक्सल प्रभावित अभुझमाड़ में कुछ इस तरह से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.
गर्मी में लगाई गांव में चौपाल
लैंड माइन के खतरों को भांपते हुए रमन सिंह पूरी सतर्कता के साथ उन गांव में पहुंचे जहां नक्सलिओं की तूती बोलती है. मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर की उड़ान की खबर पा कर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवां अलर्ट पर थे. सूचना मिलने के बाद जवानों ने मोर्चा संभाल लिया और रमन सिंह को अपने साथ उन इलाकों में ले गए जहां वो जाना चाहते थे. करीब चालीस किलोमीटर का सफर उन्होंने मोटर साइकल से किया. 45 डिग्री तापमान के बीच उन्होंने गांव में चौपाल लगाई. इस चौपाल में ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों, पंच सरपंचों और उन ग्रामीणों को बुलाया गया जो किसी न किसी समस्या को लेकर सरकार का मुंह देख रहे थे. देखते ही देखते इस पुरे इलाके में ग्रामीणों की भीड़ लग गई.
लोगों ने बताईं सीएम को समस्याएं
चौपाल में किसी ने डॉक्टरों की कमी, अस्प्तालों का ना होने का मुद्दा उठाया तो किसी ने पेयजल और आवाजाही के कच्चे रास्तों में होने वाली कठिनाइयों को लेकर मुख्यमंत्री को अपनी आपबीती सुनाई. रमन सिंह ने भी दरियादिली दिखाई और 50 करोड़ से ज्यादा के काम इस इलाके में स्वीकृत कर दिए. यही नहीं विकास के इन कामों को समय पर पूरा करने का उन्होंने अधिकारियों से वादा भी लिया. रमन सिंह ने इस इलाके में ग्रामीणों को संबोधित भी किया. सीएम ने अपनी इस साहसिक यात्रा को लोक स्वराज अभियान का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि वो इसी तरह से नक्सल प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे ताकि लोगो का उनकी सरकार के प्रति विश्वास बढे.
सीएम ने किया दोबारा आने का वादा
काम में ढिलाई ना हो इसके लिए रमन सिंह ने ग्रामीणों को वादा किया की वो निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उसका जायजा लेने भी आएंगे. जाते-जाते वो ग्रामीणों से जल्द वापस आ कर इसी तरह चौपाल लगाने का वादा कर गए. जितने समय तक रमन सिंह ने इस इलाके में वक्त गुजारा सुरक्षाबलो और प्रशासनिक अधिकारियों की सांसे फूली रही. यह इलाका दोपहर से ही वीरान हो जाता है. बारूदी सुरंगों से लैस इस इलाके में रमन सिंह की बेफिक्री देख कर ग्रामीणों की बांछे खिल गई.
रमन सिंह ने अपने मैदानी सफर में सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित भेज्जी इलाके का भी दौरा किया. वो उस सड़क से गुजरे जहां नक्सलिओ ने CRPF के कई जवान लैंड माइन का निशाना बने. इस अकेली सड़क में सीआरपीएफ के साठ से ज्यादा जवान शहीद हुए थे. लेकिन तमाम खतरों को दरकिनार कर मौत की इस सड़क पर रमन सिंह की मोटर साइकल ने रफ्तार भरी. हालांकि मुख्य्मंत्री के दौरे की खबर के बाद इस सड़क पर CRPF ने रोड ओपनिंग पार्टी को उतारा था. रमन सिंह के साथ राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड और प्रमुख सचिव अमन सिंह भी मौजूद थे. उन्होंने सीएम की इस दौरे को साहसिक यात्रा करार दिया.
यहां आने में कतराते हैं विधायक, सांसद
आमतौर पर इस इलाके में विधायक, सांसद और अन्य वीआईपी दौरा करने में कतराते है. नक्सली भय के चलते एक बड़े हिस्से में सरकारी मशीनरी भी ठप्प नजर आती हैं. सरकारी अफसर और कर्मचारी सरकारी कामकाज निपटाने के मामले में सिर्फ खानापूर्ति करते नजर आते है. रमन सिंह का दौरा औपचारिकताओं को खत्म कर सरकारी मशीनरी के कामकाज में कसावट लाने के लिए था. असर यह हुआ की तमाम सरकारी अफसर अपने कामकाज को लेकर सक्रिय हो गए. बस्तर हो या फिर अभुझमाढ़ सरकार दिखाई देने लगी. वीरान हो चुके कई सरकारी दफ्तरों में साहब और ग्रामीण नजर आने लगे है. लेकिन सरकारी दफ्तरों में कामकाज की बयार कब तक बहेगी ठोस रूप से नहीं कहा जा सकता. क्योंकि मुख्य्मंत्री रमन सिंह का दौरा चौबीस मई तक ही निर्धारित है.