
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने एनआईए कानून को चुनौती दी है. सरकार की ओर से इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये कानून जांच का अधिकार स्थानीय पुलिस से ले लेता है. याचिका में इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है.
बता दें, मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2008 में एक विधेयक लाकर एनआईए का गठन किया था. उस वक्त अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की तर्ज पर इस एजेंसी का गठन देश भर में आतंकवादी कार्रवाइयों की जांच के लिए किया गया था.
बाद में मोदी सरकार ने एनआईए को और भी ताकतवर बनाने के लिए संसद में विधेयक लेकर आई जिसमें प्रावधान किया गया कि अब यह एजेंसी मानव तस्करी, साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की भी जांच कर सकेगी. मोदी सरकार का मानना है कि वर्तमान में एनआईए के पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए पर्याप्त शक्ति नहीं है. एजेंसी के जरिए आतंकवाद का खात्मा तभी हो सकेगा, जब एनआईए को जांच आदि से जुड़े और अधिकार मिले.
कांग्रेस इस बिल का विरोध करती रही है और उसका मानना है कि किसी जांच एजेंसी के और ताकतवर बनाने के कुछ नुकसान भी हैं क्योंकि उससे राजनीतिक इस्तेमाल का खतरा पैदा होता है. संसद में यह बात कांग्रेस नेता मनीष तिवारी कह चुके हैं. मनीष तिवारी ने कहा था कि एनआईए की संवैधानिक वैधता पर पहले भी सवाल खड़े हुए थे और फिर हो सकते हैं, ऐसे में सरकार को इससे निपटने के प्रावधान भी करने चाहिए.