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दंतेवाड़ा: आदिवासी महिलाओं ने शुरू की गारमेंट फैक्ट्री 'DANNEX', 30 करोड़ का कारोबार

छतीसगढ़ का नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा (Naxal affected district of Chhattisgarh Dantewada) नई मिसाल कायम कर रहा है. यहां सरेंडर कर चुके नक्सलियों के परिवार की आदिवासी महिलाओं ने अपनी खुद की गारमेंट फैक्ट्री DANNEX खोली है. इसे ‘डैनेक्स’ यानी दंतेवाड़ा नेक्स्ट नाम दिया गया है. ‘डैनेक्स’ अब तक 30 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुकी है. देश की बड़ी बड़ी कंपनियां ‘डैनेक्स’ के साथ जुड़ रही हैं. 

दंतेवाड़ा की आदिवासी महिलाओं ने शुरू की कपड़ा फैक्ट्री.   (Photo: Twitter) दंतेवाड़ा की आदिवासी महिलाओं ने शुरू की कपड़ा फैक्ट्री. (Photo: Twitter)
aajtak.in
  • दंतेवाड़ा,
  • 22 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST
  • सरेंडर कर चुके नक्सली करते हैं काम
  • 50 करोड़ रुपये का मिल चुका है ऑर्डर
  • कई महिलाओं ने आने-जाने के लिए खरीद ली स्कूटी

नक्सलवाद, पिछड़ापन और गरीबी का पर्याय बन चुके छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला (Dantewada district of Chhattisgarh) रेडीमेड कपड़ों का हब (Readymade Garments Hub) बना गया है. स्थानीय महिलाओं और जिला प्रशासन के प्रयास से इस क्षेत्र में नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की चार यूनिट स्थापित की गई हैं और पांचवें की तैयारी है. चार फैक्ट्री में करीब 750 गरीब महिलाओं को रोजगार देकर उनके जीवन स्तर को सुधारा जा रहा है. फैक्ट्री के कपड़ों का ब्रांड DANNEX नाम से रजिस्टर्ड किया गया है. डैनेक्स नाम दंतेवाड़ा नेक्स्ट की वजह से दिया गया है.

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दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सल पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर डैनेक्स टेक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चला रहे हैं. यहां ये सब मिलकर ब्रांडेड कपड़ा कंपनियों के लिए कपड़ों पर प्रिंटिंग का काम कर रहे हैं. यहां से प्रिंट हुए कपड़े सिलाई के बाद विभिन्न माध्यमों से देशभर के बाजारों में भेजे जा रहे हैं, जिससे नक्सलगढ़ की महिलाएं सशक्त हो रही हैं. यह छत्तीसगढ़ की पहली ऐसी फैक्ट्री है, जिसका जिम्मा नक्सल पीड़ित परिवारों और सरेंडर नक्सलियों के हाथों में है. यहां सरेंडर कर चुके 100 नक्सलियों को रोजगार मिला है.

गरीबी रेखा से नीचे की महिलाएं कर रहीं काम

मैनेजर डैनेक्स काजल बंजारे ने कहा कि फैक्ट्री की पहली इकाई जिले के गीदम ब्लॉक और दूसरी इकाई बारसूर में स्थापित हो चुकी है. कटकल्याण और कारली में फैक्ट्री सेटअप का काम जारी है. प्रशासन का मानना है कि दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट हब स्थापित होने से बेरोजगार युवाओं और युवतियों का माओवादियों के प्रति झुकाव रोकने में भी मदद मिलेगी. बताया गया कि फैक्ट्री में काम कर रहीं सभी महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली हैं, जिन्हें सिलाई और टेलरिंग का काम पहले से आता था, लेकिन उनके पास रोजगार का कोई स्थायी साधन नहीं था. उन्हें कपड़ों के औद्योगिक उत्पादन की कोई जानकारी नहीं थी. अब उनको प्रशिक्षण दिया गया है.

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7 हजार से 15 हजार तक दी जा रही सैलरी

डैनेक्स’ फैक्ट्री के खुलने और महिलाओं को रोजगार मिलने से उनके जीवन  स्तर में सुधार हो रही है. कई महिलाओं ने स्कूटी खरीद लीं और कई ने गांव में मिल रही तनख्वाह से अपने पति को किराने की दुकानें भी खुलवा दीं. जिनके बच्चे छोटे हैं, उनके लिए फैक्ट्री में प्ले रूम भी बनाया गया है. मेहंदी पांडे, शांति कश्यप, बालमति, श्रुति साहू ने कहा कि यहां काम कर रही महिलाओं को शुरुआती सैलरी 7 हजार रुपये प्रतिमाह दी जा रही है. परफॉर्मेंस अच्छी रहने पर 15 हजार तक मासिक सैलरी दी जा रही है. दंतेवाड़ा जिला प्रशासन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हरसंभव प्रयास में जुटा है.

‘डैनेक्स’ में 750 महिलाएं कर रही हैं काम

नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की परिकल्पना दंतेवाड़ा जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के आर्थिक जीवन में सुधार के लिए जिला प्रशासन ने 'एक व्यक्ति एक परिवार, गरीबी उन्मूलन का होगा सपना साकार' अभियान से की. प्रशासन ने पहले एक सर्वे के माध्यम से महिलाओं को चिह्नित किया. फिर उनकी दक्षता के उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाय. 45 दिन के प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को सीधे फैक्ट्री में काम पर लगवा दिया. वर्तमान में करीब 750 महिलाएं काम कर रही हैं. 

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CRPF और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स से भी मिला है ऑर्डर

‘डैनेक्स’ ने अब तक 30 करोड़ का उत्पादन कर लिया है, जबकि लगभग 50 करोड़ का ऑर्डर शेष है. देश की बड़ी बड़ी कंपनियां ‘डैनेक्स’ के साथ जुड़ रही हैं. मंत्रा पर ‘डैनेक्स’ दंतेवाड़ा के कपड़े बिक रहे हैं. बस्तर में तैनात सीआरपीएफ और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स की तरफ से भी गारमेंट फैक्ट्री को वर्दियां ओर अन्य कपड़े सिलने के ऑर्डर मिल रहे हैं.

रिपोर्ट: धर्मेन्द्र महापात्र

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