
दंतेवाड़ा डीआरजी और कटेकल्याण क्षेत्र समिति के माओवादियों के बीच रविवार को 2 बजे तक गोलीबारी हुई. गोलीबारी में गादम और जंगमपाल के जंगलों के बीच, एक माओवादी का शव बरामद किया गया है. जिसकी पहचान वेट्टी हंगा के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि हंगा पर 1 लाख रुपए का इनाम भी था. इस गोलीबारी में कई माओवादियों के मारे जाने और घायल होने की आशंका है.
वहीं एक 8 एमएम की पिस्टल और एक देसी कट्टा बरामद किया गया है. इसके अलावा 2 किलो आईईडी, पटाखे, माओवादी साहित्य के साथ दो पिठ्ठू, दवाओं और दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी बरामद की गयीं हैं.
सरकार के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 8 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल हैं. सुरक्षाबल या पुलिस जब भी नक्सलियों को पकड़ने जाती है, तो ये नक्सली उन पर हमला कर देते हैं. गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट और लोकसभा में दिए जवाब के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में यानी 2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए. इन हमलों में हमने 489 जवान खो दिए.
10 साल में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए
2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में जितने भी नक्सली हमले हुए, उसमें नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए. ये आंकड़े सरकार के ही बताए गए हैं. पिछले 10 सालों में राज्य में सुरक्षाबलों ने एक तरफ 656 नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दूसरी तरफ नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई. सुरक्षाबलों ने सबसे ज्यादा नक्सली 2016 में मारे थे. उस साल 135 नक्सली मारे गए थे. उसके बाद 2018 में 125 नक्सली मारे गए.
खर्च बढ़ रहा, लेकिन हमले नहीं रुक रहे
नक्सली हमलों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार को मिलने वाली आर्थिक मदद बढ़ रही है. लेकिन हमले कम नहीं हो रहे हैं. 2017-18 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 92 करोड़ रुपए दिए थे, जो 2020-21 में बढ़ाकर 140 करोड़ रुपए हो गए. इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा मौतों के मामले में टॉप पर है.