
आमतौर पर नकली बीज और खाद्य को लेकर किसान ठगे जाते रहे है, लेकिन छत्तीसगढ़ के सैकड़ों किसान ट्रैक्टर खरीदी के नाम पर ठगे गए. अब उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
दरअसल, एक गिरोह ने राज्य के सैकड़ों किसानों को चोरी के ट्रैक्टर बेहद कम दामों में बेच दिए. इस गिरोह ने किसानों को बताया कि लगातार सूखे और खराब माली हालत के चलते कुछ चुनिंदा किसानों को कंपनियों ने रियायती दरों पर ट्रैक्टर और उसकी ट्रॉली उपलब्ध कराई है. किसान इस गिरोह के झांसे में आ गए.
पुलिस की गिरफ्त में आया ये वो गिरोह है, जिसने राज्य भर में कई किसानों को ठगी का शिकार बनाया है. आमतौर पर किसान परंपरागत ढंग से ठगी के शिकार होते रहे हैं. मसलन कभी नकली खाद्य, बीज को लेकर तो कभी चिटफंड कंपनियों के चककर में. लेकिन इस बार किसान ट्रैक्टर खरीदी को लेकर ठगे गए हैं.
सुनने में भले ये अटपटा लगे, लेकिन यह सच है. किसानों को एक गिरोह ने ऐसा चुना लगाया है कि वो अपनी गाढ़ी कमाई को तो लुटा चुके है, लेकिन इन सब के बावजूद उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
दरअसल, इस गिरोह ने किसानों को सूखे से होने वाले नुकसान का हवाला दे कर ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों की दरियादिली बताई. उन्हें बताया कि मुसीबत के मारे किसानों को कंपनियों ने सस्ते दरों पर ट्रैक्टर मुहैया कराने का फैसला किया है. किसान इस गिरोह के झांसे में आ गए और अपनी रकम लुटा बैठे.
आमतौर पर अलग-अलग कंपनियों के ट्रैक्टर और ट्रॉली की कीमत आठ से दस लाख के बीच होती है, लेकिन इस गिरोह ने मात्र दो से तीन लाख रूपये में चोरी के ट्रैक्टर खपा दिए. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा और दूसरे राज्यों से ये गिरोह ट्रैक्टरों की चोरी करता था. उन ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को रंगरोगन करके फर्जी दस्तावेजों के सहारे एकदम नया बना दिया जाता था.
दस्तावेजों में नए ट्रैक्टर का हवाला देने से किसान भी इस गिरोह के झांसे में आ जाते थे. राज्य में सैकड़ों की तादाद में किसानों ने ऐसे ट्रैक्टरों को हाथो-हाथ खरीद लिया, लेकिन इस गिरोह का जब भांडा फूटा तो किसान भी मुसीबत में आ गए.
अब पुलिस ट्रैक्टरों को जब्त करने में जुटी है. किसानों की हालत पतली है, क्योंकि एक तो उनके हाथ से रकम गई, ऊपर से चोरी का मामला उन पर पंजीबद्ध होने के आसार बढ़ गए है. हालांकि किसान सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गए हैं, ताकि गिरफ्तारी से बच सके और इस गिरोह के खिलाफ पुलिस को पुख्ता सबूत मुहैया हो सके.
फिलहाल पुलिस ने इस गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मुख्य सरगना अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. पुलिस ने अपनी प्राथमिक जांच में पाया है कि चोरी के ट्रैक्टरों का फर्जी रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग में भी हुआ है.
ऐसे में अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि परिवहन विभाग तक भी इस गिरोह के तार जुड़े हो सकते है. फिलहाल पुलिस तमाम ट्रैक्टरों को जब्त करने में जुटी हुई है. आखिर पुलिस ने इस गिरोह के आठ लोगों को फिलहाल ट्रैक्टरों के निशानदेही और खरीद-बिक्री का ब्यौरा लेने के लिए अपने कब्जे में लिया है.