
छत्तीसगढ़ के 5 टाइगर रिजर्व सेंचुरी और अभ्यारणों में वन विभाग को डेढ़ महीने की कड़ी मशक्क्त के बाद मात्र 10 बाघ ही मिले हैं. बाघों की गणना का यह काम दिंसबर से शुरू हुआ है. वन विभाग ने फरवरी के अंत तक प्रथम चरण की गणना पूरी करने का लक्ष्य रखा है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी. अब तक केवल 10 बाघों की गिनती होने से वन विभाग पशोपेश में है.
वर्ष 2014 की गणना रिपोर्ट में प्रदेश के जंगलो में 46 बाघों के होने का दावा किया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल में पहले चरण की गणना पूरी होने के बाद नवंबर 2018 तक इसका पूरा ब्योरा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को भेजा जाना है.
राष्ट्रिय बाघ प्राधिकरण (NTCA) के निर्देश पर यह गणना देश भर में एक साथ की जा रही है. प्रशिक्षण में देरी के कारण गणना का काम प्रभावित हुआ है. ऐसी गणना प्रत्येक 4 वर्ष में एक बार होती है. यदि गणना में यह संख्या पूरी नहीं हुई तो विभाग को जवाब देना पड़ेगा.
पीसीएफ आरके सिंह के मुताबिक, जंगलों में बाघों की गिनती का यह प्राथमिक चरण है. इसलिए उनकी वास्तविक संख्या बता पाना अभी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस सबंध में कुछ कहा जा सकता है.
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद स्थित उदंती सीतानंदी टाइगर रिजर्व, बिलासपुर के अचानकमार और बीजापुर स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में दिसंबर 2017 से बाघों की गणना शुरू की गई है. इसमें सीतानंदी टाइगर रिजर्व में दो, अचानकमार में सात और इंद्रावती में के एक बाघ देखा गया. बताया जाता है कि कैमरे में मिले फुटेज, उसके पंजों के निशान के मिलान, निवास स्थल का चिन्हांकन, मल, मृत वन्य प्राणियों के अवशेष और स्थानीय लोगों की जानकारी के आधार पर इसकी गणना की जा रही है.
भरोमदेव और गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती की जानी अभी बाकी है. अचानक बाघों के गायब हो जाने से उनके शिकार का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है.
वन विभाग के आंकड़ों को देखें तो राज्य में 2006 की गणना के मुताबिक, 26 बाघ, 2010 में भी 26 और 2014 की गणना के अनुसार 46 बाघ मिले थे. 2018 में गणना शुरू किए जाने के पहले जंगलों में 46 बाघ की पुष्टि वन विभाग ने की थी. गौरतलब है कि सीतानंदी के 1842.54 वर्ग किमी, अचानकमार की 914.017 वर्ग किमी और इंद्रावती के 2799.03 वर्ग किमी वन परिक्षेत्र टाइगर रिजर्व के लिए सुरक्षित हैं.