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छत्तीसगढ़ के 696 स्कूलों से गायब हुआ रसोई गैस सिलेंडर

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के 696 शासकीय प्राथमिक स्कूलों में मिड-डे मील बनाने के लिये प्रदान किये गए गैस सिलेंडर सहित चूल्हे स्कूलों से गायब हो गए हैं. प्रभावित स्कूलों में अब मिड-डे मील लकड़ी और कंडे के माध्यम से बनाया जा रहा है.

 स्कूल में बनता मिड-डे मील स्कूल में बनता मिड-डे मील
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 07 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के 696 शासकीय प्राथमिक स्कूलों में मिड-डे मील बनाने के लिए प्रदान किए गए गैस सिलेंडर सहित चूल्हे स्कूलों से गायब हो गए हैं. प्रभावित स्कूलों में अब मिड-डे मील लकड़ी और कंडे के माध्यम से बनाया जा रहा है. स्कूलों से गायब गैस सिलेंडर कहां गया इसकी कोई जानकारी हेड मास्टर साहब के पास नहीं है.

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हालांकि वो दबी जुबान से यही कह रहे हैं कि परीक्षा खत्म होने के बाद छात्रों ने स्कूल आना बंद कर दिया था. जिससे मिड-डे मील भी नहीं बन रहा था. लिहाजा मौके का फायदा उठाते हुए सरपंचों और ग्राम प्रधानों ने गैस और चूल्हा अपने-अपने घरों में ले गए.

बेमेतरा जिले की 696 शासकीय प्राथमिक स्कूलों में मीड-डे मील बनाने के लिए राज्य सरकार ने स्कूलों को निःशुल्क गैस सिलेंडर सहित चूल्हा दिया था. इससे कुछ दिनों तक तो गैस सिलेंडर और चूल्हे से मीड-डे मील बनाने का काम चला. बच्चों ने राहत की भी सांस ली क्योंकि स्कूल के किचन से ना तो धुआं उठा और ना ही उन्हें लकड़ी और कंडे बटोरने के लिए अपना समय नष्ट करना पड़ा. लेकिन अब छात्रों और शिक्षकों का समय चूल्हा जलाने और लकड़ी इकट्ठा करने में बीत रहा है.

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जानकारी के मुताबिक गैस सिलेंडर के लिए शासन ने प्राथमिक स्कूलों में प्रति विद्यार्थी प्रतिदिन बीस पैसा ईंधन खर्च प्रदान करने का प्रावधान रखा था. ताकि सिलेंडर का गैस खत्म होने पर उसमे गैस भरवाने में किसी तरह की परेशानी ना हो.

अधिकांश स्कूलों में मीड-डे मील का संचालन सरपंचों के माध्यम से होता है. सिलेंडर में गैस डलवाने के लिए स्थान निर्धारित और रखरखाव की जिम्मेदारी भी सरपंचों को ही सौंपी गई थी. लेकिन सरपंचों ने ही गैस सिलेंडरों पर हाथ साफ कर दिया. मामले के खुलासे के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.

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