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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस परिवारवाद के आरोपों से घिर गई है. पार्टी की हालत सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े जैसी हो गई है. दरअसल कांग्रेस ने पीसीसी प्रतिनिधियों और पार्टी पदाधिकारियों की घोषणा की है. इसमें जिला संगठनों और पार्टी पदाधिकारियों को लेकर कार्यकर्ताओं की कोई नाराजगी नहीं रही, लेकिन पीसीसी प्रतिनिधियों के नामों को देखकर कांग्रेस कार्यकर्ता तिलमिला उठे.
सूची में तमाम बड़े नेताओं के साथ उनके पुत्रों को भी शामिल कर लिया गया है. नेताओं के करीबी नाते रिश्तेदार भी शामिल थे. आम कार्यकर्ताओं को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पी.एल. पुनिया से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन परिवारवाद को बढ़ावा देने की कतई उम्मीद नहीं थी. इसके चलते पुनिया पार्टी कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए हैं.
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने राज्य का जायजा लेने के बाद प्रदेश कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों और पीसीसी डेलीगेट्स की सूची पर जो मुहर लगाई उस पर विवाद शुरू हो गया है. बावजूद इसके कांग्रेस ने अपने नए पदाधिकारियों की घोषणा कर दी है. लेकिन घोषणा होते ही पार्टी के भीतर घमासान मच गया है.
खुद कांग्रेसी अपनी पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं. मामला प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों को लेकर है. इसमें सात परिवारों के सोलह सदस्यों को पीसीसी डेलीगेट्स बनाया गया है. ये सभी कांग्रेस नेताओं के पुत्र -पुत्री और करीबी रिश्तेदार हैं. नाराज कांग्रेसियों ने नए सिरे से प्रतिनिधि बनाने की मांग की है. वे पार्टी फोरम में मामले को उठाने की तैयारी में हैं.
परिवारवाद की जड़
कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के परिवार से उनके पुत्र अरुण वोरा और अरविंद वोरा जबकि भतीजा राजीव वोरा. रायपुर से विधायक सत्यनाराण शर्मा के बेटे पी. शर्मा. दुर्ग जिले के सांसद ताम्रध्वज साहू के बेटे जीतेन्द्र साहू. पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ला के बेटे भवानी शुक्ला. पूर्व विधायक लक्ष्मण चन्द्रकर की बहन प्रतिभा चंद्राकर. पूर्व मंत्री महेंद्र बहादुर के बेटे देवेंद्र बहादुर. उप नेता प्रतिपक्ष व विधायक कवासी लखमा की पत्नी गीता कवासी लखमा के नाम पीसीसी डेलीगेट्स में शामिल किए गए हैं.
बीजेपी ने कसा तंज
उधर पीसीसी डेलीगेट्स पर निगाह रख रही बीजेपी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि उसके तमाम आरोप आज भी कांग्रेस पर सच साबित होते हैं. पार्टी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि परिवारवाद को बढ़ावा देना कांग्रेस की पुरानी परंपरा है. इसे कायम रखते हुए कांग्रेस देश के नक्शे से साफ हो गई. अब बारी छत्तीसगढ़ की है. हालांकि उन्होंने इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बताया. वहीं उधर पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने बीजेपी को अपने गिरेबान में झांकने कहा है.
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रदेश प्रभारी पी.एल.पुनिया राज्यभर का दौरा कर पार्टी कार्यकर्ताओं की खुद सुध ले रहे हैं. कार्यकर्ताओं ने उनके समक्ष परिवारवाद को बढ़ावा देने की शिकायत दर्ज कराई थी. ये कार्यकर्ता खुद की उपेक्षा का आरोप वरिष्ठ कांग्रेसियों पर लगा रहे हैं. उन्हें उम्मीद थी की पीसीसी की नई टीम में परिवारवाद का साया नहीं मंडराएगा, लेकिन जो सूची जारी हुई उसने पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं को निराश किया है.