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आवारा कुत्ते पकड़ने वाली गाड़ी में इंसानों को घुमाया, खुले में शौच करने की सजा

जब सुबह सड़कों पर लोगों ने आवारा जानवरों को ढोने वाली गाड़ी में इंसानों को लदे देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं. गाड़ी में ले जाए जा रहे लोगों से ये नारे भी लगवाए जा रहे थे- ‘खुले में शौच नहीं करेंगे, दूसरों को भी मना करेंगे.’  एक घंटे तक इन लोगों को शहर के बाहरी इलाकों में ऐसे ही घुमाने के बाद छोड़ा गया.

आवारा जानवरों को पकड़ने के काम आता है वाहन आवारा जानवरों को पकड़ने के काम आता है वाहन
सुनील नामदेव/खुशदीप सहगल
  • बिलासपुर ,
  • 14 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:40 AM IST

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नगर निगम ने खुले में शौच करने वालों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. इस क्षेत्र को ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ODF)  बनाने पर निगम का जोर है. इसी के तहत लोगों में जागरुकता लाने के लिए निगम की ओर से तरह-तरह के हथकंडों का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन निगम के अमले ने खुले में शौच करने वालों के साथ जो किया वो सवालों के घेरे में है. ऐसे करीब दर्जन भर लोगों को सजा देने के तौर पर जंगले वाली गाड़ी में कैद कर शहर भर में घुमाया गया. इस गाड़ी का इस्तेमाल आवारा कुत्तों या अन्य जानवरों को पकड़ कर शहर से बाहर छोड़ने के लिए किया जाता है.

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कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निगम के इस तरह के बर्ताव को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है. साथ ही निगम से इसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए कहा है. इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर निगम ने माफी नहीं मांगी तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.  

घटना रविवार की है जब सुबह सड़कों पर लोगों ने आवारा जानवरों को ढोने वाली गाड़ी में इंसानों को लदे देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं. गाड़ी में ले जाए जा रहे लोगों से ये नारे भी लगवाए जा रहे थे- ‘खुले में शौच नहीं करेंगे, दूसरों को भी मना करेंगे.’  एक घंटे तक इन लोगों को शहर के बाहरी इलाकों में ऐसे ही घुमाने के बाद छोड़ा गया. छूटने के बाद कुछ ने तो शर्म के मारे फौरन नौ दो ग्यारह हो जाना ही बेहतर समझा. जो मिले वो नगर निगम के अमले को इस तरह के अमानवीय बर्ताव के लिए कोसते दिखाई दिए.        

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निगम की ये कार्रवाई शहर में चर्चा का विषय बनी रही. इस मुददे पर सामाजिक कार्यकर्ता सलीम काजी ने निगम के आयुक्त को चिट्ठी लिखी है. उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद 21 में लोगों को मिले बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया. ये अनुच्छेद लोगों को जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता में राज्य के अतिक्रमण से बचाने की गारंटी देता है.  

मामले के तूल पकड़ने के बाद निगम की ओर से लीपापोती करने की कोशिश की गई. शहर मेयर की तरफ से कहा गया कि जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया गया उसका कई उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

बता दें कि बिलासपुर में सुबह होती खुले में शौच करने वालों के खिलाफ निगम का अमला सक्रिय हो जाता है. कभी सीटी बजाकर तो कभी सख्ती से पेश आ कर खुले में शौच करने वालों की खबर ली जाती. ऐसे लोगों को घरों में शौचालय बनवाने के लिए ताकीद किया जाता. निगम के अधिकारियों का कहना है कि बार-बार आगाह करने के बावजूद कुछ लोग खुले में शौच करने से बाज नहीं आ रहे थे. ऐसे ही लोगों को सबक सिखाने के लिए जंगले वाली गाड़ी का सहारा लिया गया. निगम अब खुले में शौच करने से बाज नहीं आने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है. 

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