
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बुधवार को आयोजित पंचायत आजतक में 'कितना असरदार थर्ड फ्रंट' विषय पर चर्चा हुई. इसमें जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मुखिया अमित जोगी की पत्नी रिचा जोगी, बसपा नेता हेमंत पोयम, आम आदमी पार्टी (AAP) नेता संजीव झा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के विनोद कुमार नागवंशी शामिल हुए.
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की नेता रिचा जोगी ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कहा, मेरे ससुर भले ही सशरीर हमारे साथ नहीं हैं लेकिन हमारे दिलों के अंदर हमेशा रहेंगे. जब उन्होंने 2016 में पार्टी बनाई. इसके पीछे मकसद था कि छत्तीसगढ़ का निर्णय छत्तीसगढ़ में होना चाहिए. इस धरती गरीबी को हटाना है. इसी विचारधारा के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं. आगामी में चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करेंगे.
यह पूछे जाने पर कि छत्तीसगढ़ सरकार की छानबीन समिति का कहना है कि जोगी परिवार आदिवासी है ही नहीं, के जवाब में रिचा जोगी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने ही यह समिति बनाई है. और रही बात हमारे परिवार के आदिवासी न होने की, तो यह अभी सिद्ध नहीं हुआ. मामला अभी अदालत में सुरक्षित है.
3 साल के बच्चे के साथ जेल जाने तैयार हूं: रिचा जोगी
नवंबर 2020 मरवाही उपचुनाव में आपका और आपके पति अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया और आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों हुई? इस सवाल के जवाब में रिचा ने कहा, ''FIR से डरने की कोई बात नहीं है. अदालत के पास केस है. अदालत पर हमें पूर्व विश्वास है. मुझको अगर सरकार जेल भेजती है तो मैं अपने 3 साल के बच्चे के साथ खुशी-खुशी जाने तैयार हूं.''
मेरे चाचा आदिवासी तो भतीजी क्यों नहीं ?
बकौल रिचा जोगी, जोगी परिवार की बहू बनने से पहले मेरा नाम रिचा रूपाली साधु था. साधु परिवार के लोग उसी एसटी कोटे से नौकरी करके रिटायर्ड हो चुके हैं. उनको सरकार ने आजतक कुछ नहीं कहा. अगर मेरे चाचा आदिवासी हैं तो भतीजी क्यों नहीं हो सकती...? इसलिए सरकार सिर्फ हमारे हितों को मारने के लिए और मारवाही सीट से हमें चुनाव न लड़ने देने के लिए ही सर्टिफिकेट निरस्त कर दिया गया. अब हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है.
सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे: बसपा
बसपा नेता हेमंत पोयम ने कहा कि अपनी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन को लेकर कहा कि बहुजन समाज पार्टी छत्तीसगढ़ की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. 1984 से काम कर रही है. हर चुनाव में हमारे विधायक जीतते आए हैं. तमाम सीटों पर हम कम मार्जिन से हारे हैं. साथ ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी आदिवासी जनाधार समाज के बीच है. इसलिए निश्चित हम लोग सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.
गठबंधन में तकरार के विषय में पूछे जाने पर बसपा नेता ने कहा, हमारे बीच सबकुछ ठीकठाक है. हम अन्य दलों को भी अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.
I.N.D.I.A. प्रयोग पहली बार नहीं हुआ: AAP
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 'आप' के प्रदेश प्रभारी संजीव झा ने आरोप मढ़ा कि देश एक अजीबोगरीब दौर से गुजर रहा है. एक तरह से इमरजेंसी के दौर से गुजर है. प्रधानमंत्री 'टीम इंडिया' का दावा करते थे. लेकिन टीम भावना से न चलकर बीजेपी दूसरे राज्यों की सरकारों को रातोरात बदल रही है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सरकारें गिरा दी गईं. जिस दिल्ली में बीजेपी को जनता ने 3 बार नकार दिया, उस प्रदेश में एक बिल के जरिए जनता की चुनी हुई सरकार की शक्ति को छीन लिया गया. संवैधानिक पीठ के फैसले का अपमान किया .
I.N.D.I.A. को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा, जब बात संविधान और जनतंत्र की आ जाए तो सबको इकट्ठा हो जाना चाहिए. तमाम दलों के नेताओं का साथ आना कोई पहला प्रयोग नहीं है. आपातकाल के दौर में हुआ था, आजादी के समय भी दल एक हुए थे. रही बात छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के विरोध की तो घोटाले, आदिवासियों की आवाज, बेरोजगारी को लेकर सवाल तो AAP उठाएगी.
कभी राज करने वाले आदिवासी समाज की पहचान मिटाई: हमर राज पार्टी
वहीं, हमर राज पार्टी के विनोद कुमार नागवंशी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के गठन को 23 साल हो गए, लेकिन आदिवासियों को सरकार कभी चप्पल बांटती है तो कभी चावल. सिर्फ यही छत्तीसगढ़ की पहचान रह गई. कभी मध्य भारत में राज करने वाले आदिवासी समाज की पहचान इस कदर मिटा दी गई कि उनके साथ अनायास की नक्सल नाम जोड़ा जाता है. संविधान का अनुच्छेद 16(4) कहता है कि राज्य में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा. राज्य बना तब हम 32 प्रतिशत थे और आरक्षण मिला 20 प्रतिशत. दोनों दलों बीजेपी और कांग्रेस में आदिवासी विधायक शामिल थे लेकिन किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई. इसके के लिए हमर राज पार्टी ने लड़ाई लड़ी.
हमर राज पार्टी के महासचिव नेता नागवंशी ने आगे कहा, 2006 में केंद्र से परिसीमन की चिट्ठी आई. परिसीमन में 5 सीट इसलिए चली गई क्योंकि आदिवासियों की जनसंख्या 32 फीसदी थी. लेकिन आरक्षण 20 फीसदी दिया गया. इस दुर्भावनापूर्ण के खिलाफ गोंगपा लगातार लड़ती आ रही है. हमने विधानसभा घेराव, चक्काजाम, आंदोलन धरना प्रदर्शन तक किए. वहीं, सत्तापक्ष में 30 विधायक आदिवासी हैं और 2 विपक्ष में हैं. आदिवासी समाज के पांच सांसद और एक केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ से हैं. लेकिन किसी ने कहीं कोई आवाज नहीं उठाई. अब हमने ठाना है कि 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे और राज्य की सरकार में भूमिका निभाएंगे.
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