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संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर SC ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि संसदीय सचिवों ने मंत्रियों की तर्ज पर 70 लाख का अनुदान आखिर किस नियम के तहत बांटा. सोमवार को तीन जजों की बैंच ने छत्तीसगढ़ के सभी 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति और उनके कार्यकलापों को लेकर सुनवाई की.

सीएम रमन सिंह (फाइल फोटो) सीएम रमन सिंह (फाइल फोटो)
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 07 मई 2018,
  • अपडेटेड 6:27 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर राज्य के सभी 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने पूछा है कि आखिर किस आधार पर संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई और वे लाभ के पद के दायरे से बाहर हैं.

कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 2 सप्ताह का वक्त दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि संसदीय सचिवों ने मंत्रियों की तर्ज पर 70 लाख का अनुदान आखिर किस नियम के तहत बांटा. सोमवार को तीन जजों की बैंच ने छत्तीसगढ़ के सभी 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति और उनके कार्यकलापों को लेकर सुनवाई की.

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर संगवारी नामक सामाजिक संस्था ने संसदीय सचिवों की बर्खास्तगी की मांग की है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डी चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. के. खांडवेलकर की बेंच ने मामले की सुनवाई की. संगवारी संस्था की ओर से याचिकाकर्ता राकेश चौबे ने बताया कि संसदीय सचिवों की गैर क़ानूनी नियुक्ति को लेकर उन्होंने तमाम दस्तावेज बतौर सबूत अदालत के समक्ष पेश किये हैं.

हाल ही में बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की बर्खास्तगी को लेकर दायर हुई इस याचिका को ख़ारिज कर दिया था. लेकिन हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों को मिल रही सहायता, वेतन-भत्तों और सुविधाओं पर रोक जारी रखी. बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए याचिकाकर्ता ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जब सविधान में संसदीय सचिव का पद है ही नहीं तो कैसे कोई राज्य सरकार इस पद को निर्मित कर विधायकों को उस पर पदस्थ कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद संसदीय सचिवों में खलबली मची हुई है.

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बीजेपी प्रवक्ता विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा है कि नोटिस मिलने के बाद सरकार निर्धारित अवधि में अपना पक्ष अदालत में रखेगी. उन्होंने कहा कि विधिवत नियुक्ति होने के चलते छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहले ही इस मामले को ख़ारिज कर चुका है. उधर कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि इस मामले में वो याचिकाकर्ता के साथ हैं. पार्टी की दलील है कि छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव लाभ के पद के दायरे में हैं.     

राज्य में कुल 90 सीटों में बीजेपी के पास 49, कांग्रेस के पास 36, BSP के पास एक और एक अन्य के पास हैं. 11 विधायकों की सदस्यता अगर खत्म होती है तो बीजेपी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. राज्य में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा रणनीतिक तौर पर कानूनी दावपेंचों का सहारा लेकर बीजेपी इस मामले को पूरी गंभीरता से देख रही है.

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