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बाबा रामदेव छत्तीसगढ़ में खोलेंगे फूडपार्क, कांग्रेस ने बताया ढकोसला

मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक इस फूडपार्क से दो लाख किसानों की किस्मत बदलेगी. उनके मुताबिक यहां पतंजलि संस्थान  शहद, आमरस, आवंला, टमाटर कैचप, दाल, चावल और साग सब्जियों का उत्पादन करेगा.

बाबा रामदेव बाबा रामदेव
रोहित/सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 25 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST

योग गुरु बाबा रामदेव पर छत्तीसगढ़ सरकार मेहरबान है. मुख्यमंत्री रमन सिंह और बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ एक MOU साइन किया है. बाबा रामदेव का पतंजलि छत्तीसगढ़ में 762 करोड़ का निवेश करेगा. मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह नगर राजनांदगांव में 500 एकड़ पर स्थापित होने वाले फूडपार्क को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार गद्गद है.

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मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक इस फूडपार्क से दो लाख किसानों की किस्मत बदलेगी. उनके मुताबिक यहां पतंजलि संस्थान  शहद, आमरस, आवंला, टमाटर कैचप, दाल, चावल और साग-सब्जियों का उत्पादन करेगा जिससे किसानों को उनकी फसल की कीमत भी मिलेगी और फसलों की बर्बादी पर भी रोक लगेगी.

ध्यान देने वाली बात है कि बीजेपी शासित राज्यों में बाबा रामदेव का पतंजलि संस्थान तेजी से पैर पसार रहा है. इस कड़ी में अब छत्तीसगढ़ भी शामिल हो गया है. यहां हर्बल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच 762 करोड़ के तीन MOU साइन हुए हैं. राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी इसे विकास से जोड़कर देख रही है. जबकि कांग्रेस ने इसे ढकोसला करार दिया है. कांग्रेस के मुताबिक किसानों की फसल खरीदने और उसे विक्रय के लिए बाजार मुहैया कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है लेकिन बीजेपी सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर पतंजलि संस्थान को राज्य में लाने का प्लान तैयार कर लिया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का आरोप है कि जिस इलाके में पतंजलि संस्थान को 500 एकड़ जमीन दी जा रही है, उसका एक बड़ा हिस्सा विवादित है.

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हालांकि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिले औद्योगीकरण की चपेट में हैं. लोहा, सीमेंट, बिजलीघर, एलुमिनियम और खनिज पदार्थों के दोहन के मामले में छत्तीसगढ़ अव्वल नंबर पर है लेकिन अब खेती किसानी और जंगली उत्पादों को लेकर स्थानीय स्तर पर ही बाजार मिलने की उम्मीद में किसानों को पतंजलि संस्थान से काफी उम्मीदे हैं. दो दिनों के लिए छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे आचार्य बालकृष्ण यहां के जंगलों और जड़ी-बूटी उत्पादक क्षेत्रों का जायजा ले रहे हैं.   

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