
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य की बीजेपी सरकार ने एक ख़ास वर्ग को खुश करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. राज्य में साल 2018 में चुनाव होने है. इसके मद्दे नजर रमन सिंह सरकार ने बिलासपुर जिला अदालत में धार्मिक गुरु बालदास के खिलाफ आपराधिक मामला वापस लेने के लिए अर्जी लगाई है.
बालदास की अनुसूचित जाति वर्ग के सतनामी समुदाय में अच्छी खासी पैठ है. हाल ही में अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बालदास से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद अटकले लगाई जा रही थीं कि इस बार बालदास बीजेपी के पक्ष में वोट डालने का समर्थन करेंगे.
गंभीर मामलों के आरोपी है बालदास
धार्मिक गुरु बालदास के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. बिलासपुर में उनके खिलाफ धारा 307 और धारा 25 (आर्म्स एक्ट) समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज है. इसमें हत्या की कोशिश, सरकारी संपत्ति को नुकसान, अवैध रूप से हथियार रखने और निजी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का प्रयास जैसे मामले शामिल है.
क्या है मामला
बिलासपुर के बोड़सरा इलाके में रहने वाले निरुपमा बाजपेयी और उनके परिवार की पैतृक जमीन है. सतनामी समाज के एक शख्स को सपना आया था कि उस जमीन पर उनके गुरु का जन्म हुआ था. इस सपने की चर्चा समुदाय विशेष के लोगों के बीच हुई. इसके बाद इस समुदाय के लोगों ने साल 2003 में निरुपमा बाजपेयी के जमीन पर कब्ज़ा करने का असफल प्रयास किया. इसके बाद साल 2008 में गुरु बालदास की अगुवाई में फिर भीड़ ने इस जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. उन्हें रोकने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्क्त करनी पड़ी.
इसी मामले में बालदास समेत लगभग 75 लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया. यह मामला बिलासपुर जिला अदालत में विचाराधीन है. सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बाद गवाही भी अंतिम दौर पर है. मामले में गुरु बालदास समेत सभी आरोपियों को सजा मिल सकती है. इसके चलते बीजेपी सरकार ने अचानक इस मामले को वापस लेने का फैसला ले लिया. फिलहाल राज्य सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई होने के आसार है. दूसरी ओर पीड़ित परिवार और कई सामाजिक संगठनों ने इस अर्जी को ख़ारिज करने के लिए जिला अदालत में गुहार लगाने की तैयारी कर रखी है. यह अदालत के रुख पर ही निर्भर करेगा कि वह सरकार की मंशा पर अपनी मुहर लगाए या नहीं? सरकार की मंशा को जाहिर करते हुए लोक अभियोजक ने CRPC की धारा 321 की तहत आवेदन प्रस्तुत किया है.