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उत्तरप्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर हुई कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ के चिकन सेंटरों पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. राज्य के तमाम छोटे-बड़े शहरों से लेकर गांव के गली मोहल्लों तक में फ्रेश चिकन मुहैया कराने की अवैध दुकानें खुल गयी हैं. ऐसा भी नहीं है कि राज्य के भीतर सिर्फ बीजेपी ही इसकी मांग कर रही है बल्कि कांग्रेस के विधायकों ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाया. हालांकि इस मामले पर कई सामाजिक संस्थाओं ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है. उनके मुताबिक अवैध चिकन सेंटर्स पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा बन गए हैं. इस बीच सरकार ने भी जिला कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं.
विधायकों ने की है चिकन सेंटर बंदी की मांग
बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों ने गली-मोहल्लों में खुले चिकन सेंटरों को तत्काल बंद करने की मांग की है. वे आरोप लगाते हैं कि लाइसेंस के बिना चिकन सेंटर खोले जाने के बावजूद प्रशासन ने उन्हें बंद कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. विधानसभा में विधायकों ने कहा कि शहरों से लेकर गांव तक गली-मोहल्लों में चिकन से निकलने वाला कचरा, खून और खासतौर पर उनके पंख सड़कों पर फेंके और नालियों में यूं ही बहा दिए जाते हैं. इस वजह से लोगों में संक्रमण फैल रहा है. लोग बीमार पड़ रहे हैं. इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक देवजी भाई पटेल और कांग्रेस विधायक अरुण वोरा खास तौर पर मुखर रहे.
विरोध के साझा सुर से सरकार हैरान
चिकन सेंटरों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों के साझा सुर मिलाने से रमन सरकार हैरत में है. पहले वे शराबबंदी को लेकर भी मांग करते रहे हैं. ऐसे में सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री बगलें झांकने को मजबूर हैं. विधायकों के इन सुरों के बाद सरकार ने कलक्टरों को अवैध बूचड़खानों और चिकन सेंटरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उधर सरकारी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने बताया कि कलेक्टरों को आदेश दिया गया है कि गली मोहल्ले से ये चिकन मटन की दुकानें हटाई जाएं. इसके अलावा नगर निगमों से भी इस दिशा पहल करने की बात कही गई है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में बूचड़खानों को नगर पालिका और नगर निगम लाइसेंस जारी करते हैं. जबकि चिकन सेंटरों के लिए लाइसेंस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है. लिहाजा सभी बस्तियों और गली-मोहोल्लों में चिकन सेंटर खुल गए है । इन चिकन सेंटर में साफ़ सफाई और संक्रमण को रोकने का कोई बंदोबस्त नहीं है । लेकिन अब इन चिकन सेंटर को बंद कराने को लेकर सामाजिक संगठनो ने भी मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में अब लोगों को इस बात का इंतजार है कि आखिर प्रशासन कब इन दुकानों की ओर रुख करेगा. सरकार के पास भी शहरों और ग्रामीण इलाकों में खुले चिकन सेंटरों का कोई ब्यौरा नहीं है.