कोरोना की इस दूसरी लहर में लाशों की विभीषिका झेल रहे देश में आए दिन डरावनी खबरें आ रही हैं. देश के कई हिस्सों में कहीं नदियों के किनारे लाशों का अंबार लगा हुआ है तो कहीं अस्पताल के बाहर पड़ी लाशों को कोई नहीं पूछ रहा है. इसी बीच दिल्ली में कुछ लोग लाशों की अस्थियों और राख को एकत्रित कर रहे हैं.
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दरअसल, दिल्ली में भी कई जगहों पर लावारिस लाशों का मामला सामने आ चुका है. दिल्ली और नोएडा में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां परिवार या रिश्तेदार पास में ही रहते हैं, लेकिन कोरोना से मृत्यु होने के बाद ना तो करीबी परिजन अंतिम संस्कार के लिए सामने आए, ना ही रिश्तेदार आए.
कई बार ऐसे मामलों में पुलिस या किसी अजनबी ने अंतिम संस्कार की व्यवस्था की. ऐसी ही एक संस्था दिल्ली में इस पर काम कर रही है. श्री देवौथन सेवा समिति नामक यह संस्था हर साल सितंबर के महीने में दिल्ली स्थित निगमबोध घाट पर राख या अस्थियां विसर्जित करते हैं.
इस गैर-लाभकारी संगठन से जुड़े आशीष कश्यप और नमन शर्मा इस बार भी ऐसा ही कर रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. इसका कारण यह है कि कोरोना के कारण बार ऐसी ज्यादा मौतें सामने आई हैं और वे ज्यादा अस्थियां एकत्र कर रहे हैं.
दिल्ली में लगातार हो रही मौतों से चौबीसों घंटे चिताएं जल रही हैं, ऐसे में ये लोग वहां भी पहुंचकर अस्थियां और राख एकत्र करते हैं ताकि इन्हें घाटों पर ले जाकर उनकी अंतिम विदाई कर सकें.
दिल्ली-NCR में ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जब कोरोना पीड़ित शख्स को या तो जिंदा रहते हुए भी उसका साथ छोड़ दिया गया या फिर उसकी मौत के बाद उसे कोई देखने नहीं गया.
कई कोरोना पीड़ित लोगों की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए कुछ लोग सामने आए, जिनमें कभी कोई पड़ोसी होता था तो कोई अजनबी. यहां तक कि, कुछ को पैसे देकर लोगों ने अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कराया.
फिलहाल ये लोग जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इनकी कई तस्वीरें इसकी गवाह हैं कि कैसे ये लोग पूरी सुरक्षा के साथ बोरियों में भरकर इसे इकठ्ठा कर रहे हैं, ताकि उनका विसर्जन हो सके.