
बीते 24 अगस्त को अफगानिस्तान से भारत लाए गए 78 व्यक्तियों ने नई दिल्ली के ITBP छावला कैंप में 14 दिनों का क्वारंटीन पूरा कर लिया है. अफगानिस्तान से लौटे इनमें से कई लोगों से आजतक ने बातचीत की. इस दौरान इन लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई.
अफगानिस्तान से लौटी एक महिला ने रोते हुए कहा कि, उनका बेटा उस दौरान शहीद हो गया जब अफगानिस्तान की एक मार्केट में ब्लास्ट हुआ था. उनकी बहू और छोटा पोता अब भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. महिला ने बताया कि अफगानिस्तान के गुरुद्वारे में सभी लोग कई दिनों तक छिपे हुए थे, बाहर फायरिंग चल रही थी. महिला ने भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वो तो यहां आ गईं लेकिन लेकिन उनके परिवार वाले अभी भी वहां फंसे हुए हैं.
इन लोगों ने बताया कि अफगानिस्तान में बहुत से ऐसे सिख और हिंदू हैं जो भारत आना चाह रहे हैं. एक व्यक्ति ने बताया कि अभी भी काबुल में 175 लोग ऐसे हैं जो फंसे हुए हैं. एक सिख परिवार ने आजतक से बातचीत में कहा कि वहां की स्थिति काफी खराब है, जब तक हालात नहीं ठीक होते हैं तब तक वह भारत में ही रहना चाहेंगे और वह यह भी चाहते हैं कि उनके परिवार से जुड़े हुए जो लोग इस वक्त अफगानिस्तान में है उनको भी भारत सरकार एयरलिफ्ट कर ले आए.
अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात के बीच ये लोग अब भी इस समय सरकार से आस लगाकर बैठे हुए हैं कि जैसे उनको 24 अगस्त को एयरलिफ्ट किया गया है उसी प्रकार उनके परिवार से जुड़े हुए सदस्यों को भी भारत लाया जाए.
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बता दें कि अफगानिस्तान से निकाले गए 78 लोगों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) केंद्र में 14 दिनों के अपेक्षित क्वारंटाइन अवधि को पूरा करने के बाद इसमें से 46 सिख और हिन्दुओं को दिल्ली के महाबीर नगर के गुरु अर्जुन देव जी के गुरद्वारा में रखा गया है. इस समूह में 53 अफगान (34 पुरुष, 09 महिलाएं और 10 बच्चे) और 25 भारतीय नागरिक (18 पुरुष, 5 महिलाएं और 2 बच्चे) शामिल हैं.
उधर, भारत सरकार के सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि भारत में रहने वाले किसी भी अफगान नागरिक को देश छोड़ने के लिए नहीं कहा जाएगा. जानकारी के मुताबिक जो अफगान नागरिक इस समय भारत में रह रहे हैं उसको बिना गृह मंत्रालय की मंजूरी के जाने के लिए नहीं कहा जा सकता है. इसके लिए क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय यानी एफआरआरओ, लिखित जानकारी गृह मंत्रालय को देगा और उसके बाद ही आगे कोई कदम उठाया जाएगा.