
राउज एवेन्यू कोर्ट ने आप विधायक सोमनाथ भारती को साल 2016 में एम्स के सुरक्षा कर्मी से मारपीट के मामले में जानबूझकर चोट पहुंचाने और हमले का दोषी ठहराया है. कोर्ट ने सोमनाथ भारती मामले में शनिवार दोपहर दो साल की सजा सुनाई. भारती को जानबूझकर चोट पहुंचाने, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के लिए उन्हें हमले का दोषी ठहराया गया है. कोर्ट ने सभी दलीलें सुनने बाद भारती की सजा तय की. सोमनाथ भारती को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी दोषी ठहराया गया है.
सोमनाथ भारती पर कोर्ट के फैसले पर AAP (आप) का बयान सामने आया है. पार्टी ने कहा कि हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास रखते हैं. हालांकि, हमें लगता है कि इस मामले में सोमनाथ भारती के साथ अन्याय हुआ है. सोमनाथ एक बहुत लोकप्रिय नेता हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र में सभी से प्यार करते हैं. वह अपने लोगों के लिए 24 घंटे काम करते हैं. इस फैसले से उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग काफी दुखी हैं. आप ने कहा कि सोमनाथ अपील दायर कर रहे हैं, हमें भरोसा है कि अपील के स्तर पर उसके साथ न्याय किया जाएगा.
वहीं, इस मसले पर AAP विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. मैं आदेश के खिलाफ अपील दायर कर रहा हूं, जिसमें मुझे दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है.
विधायक सोमनाथ भारती ने अदालत से उन्हें प्रोबेशन पर छोड़े जाने का अनुरोध किया है. शनिवार को सोमनाथ भारती की तरफ से वकील एन हरिहरन पेश हुए. उन्होंने अदालत से विधायक को प्रोबेशन पर छोड़े जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि वह इकलौते विधायक हैं जो फोन पर भी जनता की समस्याएं सुनते हैं.
सोमनाथ भारती के वकील ने सजा पर बहस के दौरान कहा कि मामले की जांच में पूरा सहयोग किया गया है. इसके अलावा 2016 में हुई इस घटना के दौरान किसी को चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था. जनता के बुलावे पर ही वो एम्स पहुंचे थे. सोमनाथ भारती की तरफ से यह भी दलील दी गई कि उन्हें पहली बार अपराधी ठहराया गया है. वो अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले शख्स हैं. बीमार मां की जिम्मेदारी है और दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.
राउज एवेन्यू कोर्ट की तरफ से सोमनाथ भारती को जानबूझकर चोट पहुंचाने, सरकारी कर्मचारी के काम में रुकावट डालने के लिए उन पर हमला और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहराया गया है. एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर नौ सितंबर 2016 को यह केस दर्ज किया गया था. इसमें बाकी चार आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है.