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अब ‘आप’ के सामने ये दो ही रास्ते, कौन-सी राह चुनेंगे केजरीवाल?

संविधान के अनुच्छेद 226 और 32 के तहत आप याचिका के जरिए चुनाव आयोग और राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दे सकते हैं. राष्ट्रपति के फैसले के बाद आयोग को इन विधायकों की सीटों पर उपचुनाव कराना होगा.

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

राष्ट्रपति की ओर से 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने वाली सिफारिश को मंजूरी के बाद अब आप के सामने दो ही रास्ते हैं. पहला न्यायालय और दूसरा उपचुनाव. आम आदमी पार्टी अब हाईकोर्ट जाएगी. सोमवार को इस पर सुनवाई हो सकती है. हाईकोर्ट के बाद पार्टी सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकती है. दूसरा और अंतिम रास्ता उपचुनाव का है.

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फिलहाल सरकार पर कोई खतरा नहीं

संख्या बल की बात करें तो अब 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आप के विधायकों की संख्या 66 से घटकर सीधे 46 हो गई है. इससे सरकार पर तो कोई खतरा नहीं दिखता. लेकिन बागी विधायक ये खेल भी बिगाड़ सकते हैं. विधायक कपिल शर्मा बागी हो चुके हैं, जबकि कुमार विश्वास राज्यसभा में नहीं भेजे जाने से नाराज हैं. बताया जाता है कि उनके पास करीब 10 विधायकों का समर्थन हैं और मौका देखते हुए वह पाला बदल सकते हैं. ऐसा होने पर केजरीवाल सरकार पर संकट आ सकता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के 4 विधायक हैं. 7 फरवरी, 2015 को विधानसभा चुनाव कराए गए थे जिसमें अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी.

अब ‘आप’ के सामने आगे क्या है रास्ता

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संविधान के अनुच्छेद 226 और 32 के तहत आप याचिका के जरिए चुनाव आयोग और राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दे सकती है. राष्ट्रपति के फैसले के बाद आयोग को इन विधायकों की सीटों पर उपचुनाव कराना होगा.

भाजपा-कांग्रेस को दिखने लगा अवसर

आप के 20 विधायकों की सदस्यता जाने के साथ ही दिल्ली में फिर से चुनाव का माहौल बनने लगा है. कांग्रेस और बीजेपी की प्रतिक्रिया भी इशारा करती है कि दोनों ही दल खुद को उपचुनाव के लिए तैयार करने में जुट गए हैं. 20 सीटों पर उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बड़ा अवसर है. कांग्रेस जहां 2013 से पहले के 15 साल के कामों को दिल्ली की जनता को याद दिलाएगी वहीं बीजेपी एक बार फिर मोदी लहर पर सवार हो जीत दर्ज करना चाहेगी.

सिसौदिया का इशारा, उपचुनाव के लिए तैयार

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने शुक्रवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपचुनाव के लिए तैयार रहने की बात कही है. हालांकि उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनके विधायकों के पास बहुत से तर्क और सबूत हैं जो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट को खारिज करते हैं. यह सुझाव असंवैधानिक है, अलोकतांत्रिक है. सिसौदिया ने कहा कि हमारे ईमानदारी से हो रहे काम से बीजेपी कांग्रेस की बेईमानी की दुकान बंद हो गई. इसीलिए बदला लिया जा रहा है.

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बीजेपी पर दिल्ली को चुनाव में धकेलने का आरोप

सिसौदिया ने कहा कि हमारे विधायकों पर फर्जी मामले दर्ज कराए गए. सीएम दफ़्तर में सीबीआई रेड कराई गई. 400 फ़ाइल की स्क्रूटनी कराई लेकिन इन्हें कुछ नहीं मिला. इन्हें परेशानी है कि सरकार चौथे गेयर में चली जाएगी. बीजेपी की स्कूल में सीसीटीवी और वाईफाई लगाने का काम चौथे गेयर में जाने से रोकने की कोशिश है. बीजेपी से ढंग की कोई पॉलिसी नहीं बनती है. सिसौदिया ने आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली को चुनाव में धकेलना चाहती है.

चुनाव आयोग को राज्यपाल का दिया लालच

चुनाव आयोग की सिफारिश को आप ने दबाव में लिया गया फैसला बताया है. चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा कह चुकी हैं कि लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ए.के. ज्योति दवाब में हैं. उन्हें राज्यपाल बनाने का लालच देकर दवाब में फैसला देने को कहा गया है.

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