
गरीब और बेघर लोगों से जुड़ा मामला हो और इस पर राजनीति न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. CHD की ओर से पेश आंकड़ों में महज 6 दिनों में दिल्ली में हुई 44 मौत की खबर आने के बाद सत्ता और विपक्ष के बीच राजनीति शुरू हो गई है.
सेंटर फॉर होलिस्टिक डिवेलपमेंट (CHD) नाम की संस्था ने ये आंकड़े जारी किए थे. संस्था का दावा है कि ये आंकड़े गृह मंत्रालय की वेबसाइट से निकलवाए गए हैं और जो दर्शाता है कि दिल्ली की जनता बेहद खराब हालत में है. सीएचडी के सुनील अलीदा ने बताया कि जोनल पुलिस रात में सड़क से शवों को उठाती है और अब तक केवल जनवरी में 44 बेघरों के शव को उठाया गया है, जिसके आंकड़े पब्लिक डोमेन में डाले गए हैं.पार्टी की ओर से राज्यसभा के उम्मीदवार संजय सिंह की सफाई के बाद आप पार्टी की नेता और राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की सदस्या आतिशी मारलेना ने इसी सीएचडी के आंकड़ों का सहारा लेते हुए एक ट्वीट किया है जिसे बाद में आप पार्टी ने रिट्वीट भी किया. इस पोस्ट में दिल्ली में 2004 से 2017 तक महीनेवार हुई मौत का आंकड़ा शामिल है.
जनवरी में ठंड अपने चरम पर होती है, 2004 के बाद लगातार 14 सालों में इस महीने में सबसे ज्यादा मौतें (287) 2010 में हुईं. जबकि 2011 में मौत का आंकड़ा 283 तक पहुंचा. जबकि दिसंबर में दिल्ली में 2017 में 250, 2016 में 235, 2015 में 251, 2014 में 279 लोगों की मौत हुई. 2009 में कांग्रेसराज में मरने वालों की संख्या 300 पार कर गई थी और कुल 301 लोग मारे गए थे.
दिसंबर और जनवरी में उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है, 2010 से लेकर अब तक गुजरे 7 सालों में इन दो महीनों में औसतन 220 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
न सिर्फ ठंड में बल्कि गरमी के सीजन में भी बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं. मई के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 259 (2010), 322 (2011), 312 (2012), 323 (2013), 240 (2014), 291 (2015), 288 (2016) और 275 (2017) मौतें हुई, जबकि जून में 355 (2010), 273 (2011), 567 (2012), 288 (2013), 485 (2014), 264 (2015), 317 (2016) और 268 (2017) मौतों का आंकड़ा बढ़ गया. 2012 में पौने छह सौ लोग एक ही महीने में मारे गए जबकि 2014 में पौने 5 सौ लोग की मौत हो गई. जून में हुई मौतों पर आप पार्टी की नेता ने लाल रंग से मार्क भी किया है.
इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) के सीईओ पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्होंने उन्हें बेकार अधिकारी भी करार दिया. एलजी ने अधिकारियों की नियुक्ति से पहले हमसे कोई मशविरा नहीं लिया.