
दिल्ली सरकार ने गेस्ट टीचर्स के लिए नई पॉलिसी को कैबिनेट की बैठक में पास कर दिया है. बुधवार को सरकार ने दिल्ली सचिवालय में गेस्ट टीचर्स के मुद्दे पर एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई थी. बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार ने नई पॉलिसी बनाई है, जिसे वो ख़ुद एलजी अनिल बैजल को सौंपने जा रहे हैं.
मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस वक्त सभी सरकारी स्कूलों में 64,000 टीचर्स की पोस्ट हैं, जबकि अभी 58,000 टीचर्स ही काम कर रहे हैं. इनमें गेस्ट टीचर्स की संख्या 22,000 है. जिनकी समय-समय पर मेरिट के आधार पर नियुक्ति हुई है.
सिसोदिया ने दावा किया कि उनकी सरकार आने से पहले हर साल गेस्ट टीचर्स को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने हर साल की भर्ती प्रक्रिया को खत्म कर दिया.
उन्होंने ये भी कहा कि गेस्ट टीचर्स को बहुत कम 10-12 हजार से लेकर 17 हजार रुपये तक सैलरी मिलती थी, जिसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर 35 हजार किया है. उन्होंने आगे एलजी और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि टीचर्स रखना, टीचर्स हटाना, किस स्कूल में कितने टीचर होंगे ये सर्विसेस का मामला है. चुनी हुई सरकार स्कूल बनाएगी, स्कूल चलाएगी. पढ़ाई करवाएगी लेकिन स्कूल में कितने टीचर होंगे, ये केंद्र सरकार कैसे तय कर सकती है. सवाल ये है कि ऐसे में स्कूल कैसे चलेंगे.
मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों को बताया कि दिल्ली सरकार कैबिनेट में सरकार के साथ काम करने वाले तमाम गेस्ट टीचर्स के लिए एक पॉलिसी लाई है. जिसके तहत सभी गेस्ट टीचर्स, अब रेगुलर टीचर्स की रिटायरमेंट की उम्र तक काम करेंगे और उनको हटाया नहीं जाएगा.
दिल्ली में रेगुलर टीचर्स की रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है. इसके अलावा गेस्ट टीचर्स पर रेगुलर टीचर्स वाले कंडक्ट रूल्स ही लागू होंगे.
मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि पिछले 2 साल से वो गेस्ट टीचर्स को पक्का करने की गुहार केंद्र सरकार से लगा रहे हैं.
साथ ही सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा में गेस्ट टीचर्स को परमानेंट करने का बिल पास किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे लागू नही किया. केंद्र की सरकार एजुकेशन डिपार्टमेंट का भट्टा बिठाने की साजिश कर रही है.