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सत्येंद्र जैन की बढ़ेंगी मुश्किलें! गृह मंत्रालय का राष्ट्रपति को पत्र, इस धारा के तहत केस चलाने की मांगी मंजूरी

गृह मंत्रालय ने AAP नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मांगी है. बताया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) से मिली सामग्री के आधार पर सत्येन्द्र कुमार जैन (60) के खिलाफ इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति देने के पर्याप्‍त साक्ष्‍य पाए गए हैं.

satyendra jain (Photo: Social Media) satyendra jain (Photo: Social Media)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:28 PM IST

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. गृह मंत्रालय ने सत्येन्द्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी है.

राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद ये केस भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत न्यायालय में चलाया जाएगा. बताया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) से मिली सामग्री के आधार पर सत्येन्द्र कुमार जैन (60) के खिलाफ इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति देने के पर्याप्‍त साक्ष्‍य पाए गए हैं. इसलिए ही कोर्ट में केस चलाए जाने कि मांग की गई है.

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तीन साल पहले हुए थे गिरफ्तार

दरअसल, जांच एजेंसियों ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ हवाला कारोबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केस दर्ज किया है. मई 2022 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. सत्येंद्र जैन को ईडी ने जब हिरासत में लिया था, तब उनके पास स्वास्थ्य, बिजली सहित कुछ दूसरे मंत्रालय भी थे. जैन फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. ईडी ने AAP नेता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

217 फीसदी ज्यादा संपत्ति मिली

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला अगस्त 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जैन और कुछ दूसरे आरोपियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज किया गया था. सीबीआई ने दिसंबर 2018 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि कथित संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के दौरान जैन की आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 217 प्रतिशत ज्यादा थी.

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फर्जी कंपनियों से मिले 4.8 करोड़

ईडी ने पहले कहा था कि जांच में पाया गया कि 2015-16 के दौरान सत्येंद्र जैन एक लोक सेवक थे और 4 कंपनियों (जिनका स्वामित्व और नियंत्रण उनके पास था) को फर्जी कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रविष्टियां (हवाला की रकम) मिली थीं. इसके बदले में हवाला के जरिए कोलकाता में स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकदी ट्रांसफर की गई थी.

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