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अब केजरीवाल के पास धरना खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं?

केजरीवाल सरकार की मांग है कि एलजी दिल्ली के IAS अफसरों को हड़ताल वापस लेने का आदेश दें. लेकिन अभी तक केजरीवाल की मांग पर एलजी ने कोई आश्वासन नहीं दिया है. माना जा रहा है कि आज इस मामले में कोई बड़ा फैसला किया जा सकता है.

धरने की सियासत! धरने की सियासत!
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

आईएएस अफसरों में चल रही तनातनी के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले आठ दिनों से उपराज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में धरने पर बैठे हैं. केजरीवाल सरकार की मांग है कि एलजी दिल्ली के IAS अफसरों को हड़ताल वापस लेने का आदेश दें. लेकिन अभी तक केजरीवाल की मांग पर एलजी ने कोई आश्वासन नहीं दिया है. माना जा रहा है कि आज इस मामले में कोई बड़ा फैसला किया जा सकता है.

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भूख-हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की रविवार को अचानक तबीयत बिगड़ने से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय अभी भी उपराज्यपाल के दफ्तर पर जमे हुए हैं. दोनों के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए रविवार को कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की. इन चारों राज्यों के मुख्यमंत्री ने अपना समर्थन केजरीवाल को दिया और कहा कि एक चुनी हुई सरकार के खिलाफ दिल्ली में जो कुछ हो रहा है, वो गलत है.

दूसरी ओर केंद्र सरकार या फिर एलजी की तरफ से इस मामले में पहल का कोई संकेत नहीं दिया गया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के पास अब खुद इस धरने को खत्म करने का ही विकल्प बचा है. सत्येंद्र जैन अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं और गोपाल राय की सेहत में लगातार गिरावट देखी जा रही है. अगर इसी तरह के हालात बने रहे तो केजरीवाल और सिसोदिया की सेहत पर भी असर पड़ सकता है. यही वजह है कि पार्टी कोई ऐसा रास्ता निकालने में जुटी हुई है जिससे ये धरना भी खत्म हो जाए और उसके नेता जीत का दावा भी कर सकें.

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आम आदमी पार्टी के आला नेताओं को लगता है कि जिस उद्देश्य वो धरने पर बैठे थे, वो भले पूरा न हुआ हो लेकिन जिस तरह से बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल का समर्थन किया और केंद्र को इस गतिरोध के लिए जिम्मेदार ठहराया, उससे दिल्ली सरकार की मांगों को बल मिला और जनता में धरने का सही मैसेज गया. यही नहीं, रविवार को प्रधानमंत्री आवास के घेराव के लिए दिल्ली की सड़कों पर जो भीड़ दिखी, उससे भी पार्टी के हौसले बुलंद हैं. देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने इस मामले में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को समर्थन दिया है.

इन सबके बीच इस समय केजरीवाल के आवास पर पार्टी की बैठक हो रही है. जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बैठक में धरने को लेकर बड़ा फैसला कर सकती है. अगर बिना आईएएस की हड़ताल टूटे केजरीवाल धरने को खत्म करने का ऐलान करते हैं तो फिर पार्टी के लिए यह एक तरह से पीछे जाना होगा. ऐसे में केजरीवाल सरकार की अब कोशिश होगी कि धरने को खत्म करने के लिए ऐसा रास्ता अपनाया जाए, जिससे भूख-हड़ताल भी खत्म हो जाए और दिल्ली की जनता में केजरीवाल और उनके मंत्रियों की छवि भी गलत न बने.    

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यही वजह है कि कल जब आईएएस अफसरों ने प्रेसवार्ता कर ऐलान किया कि वे तब तक दिल्ली सरकार के मंत्रियों की रुटीन बैठकों में नहीं जाएंगे जब तक उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं मिलता है तो केजरीवाल ने तुरंत वीडियो मैसेज जारी कर साफ कहा कि अफसर उनके परिवार के सदस्यों की तरह हैं और वे उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी देते हैं. केजरीवाल की इस अपील पर अभी तक आईएएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन अगर अफसर दिल्ली के मुख्यमंत्री पर भरोसा कर अपनी कथित हड़ताल तोड़ देते हैं तो ये केजरीवाल के लिए जीत की तरह होगा.

दूसरी ओर ये मामला अब हाईकोर्ट चला गया है और कोर्ट की शुरुआती टिप्पणी केजरीवाल के समर्थन में नहीं कही जा सकतीं. बीजेपी और कांग्रेस भी कम से कम दिल्ली में ये माहौल बनाने में जुटी हैं कि केजरीवाल के धरने से दिल्ली का विकास रुक गया है और काम ठप पड़ गए हैं. ऐसे में पार्टी अगर इस धरने को जारी रखती है तो उसके लिए जनता को जवाब देना मुश्किल हो सकता है. ये भी वजह है कि अब केजरीवाल के सामने इस धरने को जल्द से जल्द खत्म करने के अलावा विकल्प नहीं बचा है.

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