
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली राहत यूं तो अस्थाई है लेकिन हाईकोर्ट में दोबारा सुनवाई के लिए इस पूरे मामले को फिर चुनाव आयोग के पास भेजा है ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दोबारा होने वाली सुनवाई में आखिर और कितना वक्त लग सकता है.
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को पार्लियामेंट सेक्रेटरी बनाए जाने के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत करने वाले वकील प्रशांत पटेल का कहना है कि सुनवाई अब वहां से शुरू होगी जहां रुक गई थी यानी सभी विधायकों को चुनाव आयोग पर्सनल अपीयरेंस का मौका देगा जिससे चुनाव अधिकारियों के सामने खुद अपना पक्ष रख सके.
प्रशांत का मानना है कि इस काम में 4 से 6 हफ्ते का वक्त लग सकता है. यानी कि एक से डेढ़ महीने के बीच में चुनाव आयोग अपनी सुनवाई को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस में पूरा कर सकता है. यानी अब अगली नई सुनवाई में चुनाव आयोग के सामने यह सभी 20 विधायक खुद पेश होकर अपना-अपना पक्ष रखेंगे. अभी तक चुनाव आयोग में लिखित दस्तावेज और वकीलों के माध्यम से ही चुनाव आयोग के सामने इन विधायकों ने अपना पक्ष रखा था.
वहीं दूसरी तरफ सभी बीस विधायक सोमवार से विधानसभा के कामकाज विधायक के तौर पर दोबारा से करना शुरू कर देंगे.विधायक और वकील मदनलाल ने कहा कि पिछले 2 महीने से लगातार इलाके के लोग अलग-अलग समस्याएं लेकर आ रहे थे लेकिन किसी के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे क्योंकि चुनाव आयोग की सिफारिशों के बाद विधायक के तौर पर हम अयोग्य ठहरा दिए गए थे. लेकिन आज के पास कैसे खुशी के साथ-साथ जिम्मेदारी पूरी करने का जज्बा भी है और इसी जोश के साथ हम विधानसभा में सोमवार तक पर अपना काम करना शुरू कर देंगे.
इस मुद्दे पर अलका लांबा ने कहा कि हमें इस बात की फिक्र नहीं कि दो-तीन महीने से हमारी अपनी सैलरी हमें नहीं मिल पा रही थी लेकिन हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद हम दोबारा विधायक बन गए हैं, 2 महीने से रुके हुए कामों को संजीदगी से पूरा करना हमारा लक्ष्य है.
गांधीनगर से विधायक अनिल कुमार वाजपेई ने कहा कि कोर्ट का आज का फैसला जनता की जीत है ऐसे में विधायक के तौर पर आगे जनता के कामों के लिए ही सारा वक्त दिया जाएगा. आगे भी दोगुने जोश से काम करेंगे. यानी आम आदमी पार्टी के विधायकों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले ने अयोग्य का ठप्पा तो हटाया ही है साथ ही आम लोगों के विधायक के तौर पर काम करने का एक और मौका दिया है.