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बजट: AAP ने कहा- शिक्षा और स्वास्थ्य को किया दरकिनार, शिवसेना ने भी घेरा

AAP की तरफ से ये भी कहा गया, "केंद्र सरकार से उम्मीद थी कि स्वास्थ्य बजट आवंटन में काफी वृद्धि होगी, लेकिन हेल्थकेयर बजट को 10 प्रतिशत कम कर दिया गया है. इससे पता चलता है कि कोरोना महामारी से कोई भी सबक नहीं लिया गया है." पार्टी का कहना है कि 2021-22 में स्वास्थ्य बजट करीब 8 हजार करोड़ रुपए कम कर दिया गया है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST
  • सरकार ने हेल्थकेयर बजट घटाया- आम आदमी पार्टी
  • शिवसेना ने बताया सपने दिखाने वाला बजट

केंद्र सरकार ने आम बजट पेश कर दिया है, जिसके बाद से ही लगातार इसकी समीक्षा हो रही है. सरकार बजट की जमकर तारीफ कर रही है तो विपक्षी दल खूब आलोचना कर रहे हैं. इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने भी बजट की खामियां गिनाई हैं. साथ ही शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी बजट को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए गए हैं. 

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आम बजट को लेकर आम आदमी पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ''इस बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है. यह बजट गरीबों, मध्यम वर्ग और किसानों को बर्बाद करने वाला है.''

हेल्थकेयर बजट भी घटाया- AAP
AAP की तरफ से ये भी कहा गया कि "केंद्र सरकार से उम्मीद थी कि स्वास्थ्य बजट आवंटन में काफी वृद्धि होगी, लेकिन हेल्थकेयर बजट को 10 प्रतिशत कम कर दिया गया है. इससे पता चलता है कि कोरोना महामारी से कोई भी सबक नहीं लिया गया है." पार्टी का कहना है कि 2021-22 में स्वास्थ्य बजट करीब 8 हजार करोड़ रुपए कम कर दिया गया है.

बजट पर आम आदमी पार्टी ने गिनाए आंकड़े

- शिक्षा में अतिरिक्त बजट का आवंटन करना चाहिए था, लेकिन हम क्या देख रहे हैं कि शिक्षा मंत्रालय के बजट में करीब 6 हजार करोड़ रुपये की कमी कर दी गई है.
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6 फीसदी आवंटन का वादा किया गया है. केंद्रीय बजट में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6 फीसदी शिक्षा को आवंटित किया है. यह शिक्षा के प्रति सरकार की वास्तविक प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
- वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण खाद्य पदार्थों में उच्च मुद्रास्फीति हो रही है. पेट्रोल की कीमतों में केवल एक साल में 11 रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जबकि डीजल की कीमतों में 9 रुपए की वृद्धि दर्ज की गई है.

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-दिल्ली में एलपीजी की कीमतें नवंबर-2020 में 594 रुपए थी, जो आज बढ़कर 858 रुपए हो गई है.
-नरेगा में 38 हजार करोड़ रुपए, सामाजिक कल्याण योजनाओं में 5 हजार करोड़ रुपए और पीएम किसान योजना आवंटन में 10 हजार करोड़ रुपए की कमी की गई है. जब पूरे देश में किसान आंदोलन और कृषि संकट है, उस समय कृषि मंत्रालय का बजट 1.55 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 1.48 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है.

शिवसेना ने बताया सपनों का बजट
शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना में बजट की आलोचना करते हुए इसे सपनों का बजट कहा है. सामना के संपादकीय में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि राजनेताओं की तरह अर्थशास्त्रियों ने भी आम जनता को अब सपना दिखाना शुरू कर दिया है. सरकार सड़क, रेलवे, विमान, पेट्रोलियम और बीमा कंपनियों को बेचने की तैयारी कर रही है और सभी क्षेत्रों का निजीकरण करके निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. 

सामना में आगे लिखा गया है कि बजट घोषणा के साथ सेंसेक्स ऊपर चला गया, लेकिन क्या इस बजट से लोगों की जेब में पैसा आएगा. अगर नहीं आएगा तो इस वर्ष के बजट के डिजिटल तरीके से पेश करने का क्या मतलब. वित्त मंत्री ने केवल डिजिटल घोड़े पर सवार होकर सपनों की सवारी कराई है.

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