
आम आदमी पार्टी ने भाजपा, केंद्र शासित दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और LG (Lieutenant Governor) पर भाजपा कार्यालय के लिए दिल्ली के सबसे पॉश इलाके दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर 2 करोड़ में 10 हजार गज जमीन देने का आरोप लगाया है. आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि "केंद्र सरकार की DDA ने अपनी ही पार्टी भाजपा को 2 करोड़ में 2 एकड़ से ज्यादा जमीन भाजपा का ऑफिस बनाने के लिए दे दी, जबकि वो जमीन किसी पार्टी कार्यालय के लिए नहीं थी, बल्कि बच्चों के स्कूल बनाने के लिए थी. यहां एक आलीशान कार्यालय पहले ही बना हुआ है. उस कार्यालय के ठीक सामने जमीन का आवंटन किया है.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी थी, तब हर साल युवाओं को 1 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन क्या युवाओं को नौकरी मिली? बल्कि पहले की सरकार में जितनी नौकरी मिलती थीं, अब वो नौकरी भी मिलना बंद हो गईं. भाजपा ने पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भाजपा ने देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर ले जाने का वादा भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. आप नेता ने आरोप में कहा है कि 'भाजपा की सरकार में किसी वर्ग का फायदा नहीं हुआ, लेकिन एक तबका ऐसा है जिसका जमकर फायदा हुआ वो है स्वयं भाजपा. भाजपा अपने निजी फायदे के लिए सरकार चला रही है. दीन दयाल उपाध्याय मार्ग सेंट्रल दिल्ली का इलाका है जो सबसे महंगा इलाका है.'
आप नेता ने किया बीजेपी से ये सवाल
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि क्या भाजपा इतनी गरीब है कि जहां DDU मार्ग पर 2 करोड़ रूपए में 20 गज जमीन भी नहीं मिल सकती है, वहीं भाजपा को 10 हजार गज जमीन मिल गयी? क्या ये सच नहीं कि जमीन बच्चों के स्कूल बनाने के लिए आवंटित थी? क्या जिस भाजपा की दिल्ली में 70 में से 8 सीट आईं हैं और पिछले चुनाव में 70 में से 3 सीट आईं थी, उस भाजपा को 10 हजार गज जमीन दी गयी, जबकि जिस पार्टी की सरकार 70 में से 62 सीट आई हैं और पिछले चुनाव में 70 में से 67 सीट आईं थी, उस आम आदमी पार्टी को ऑफिस के लिए देने को जमीन नहीं है?
सिविल डिफेंस वॉलंटियर मामले में आप का बयान
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली पुलिस और रेवेन्यू डिपार्टमेंट इस मामले में आपस में बातचीत कर सकते हैं. मेरा मानना है कि आईपीएस ट्रेनिंग में उन्हें कानून की पढ़ाई कराई जाती है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस जो चालान करती है, उसका पावर भी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और दिल्ली पुलिस के पास नहीं है, वह पावर दिल्ली सरकार की पावर है. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की पावर है. दिल्ली सरकार इसे दिल्ली पुलिस को डेलीगेट करती है कि आप हमारी पावर का इस्तेमाल करके चालान काटें. उन चालान को काटने के नाम पर दिल्ली पुलिस कितना चालान करती है और कितनी अपनी जेब भरती है, यह बात दिल्ली वाले जानते हैं. मेरा मानना है कि डेलिगेशन आफ पावर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कानून का एक हिस्सा होता है. अगर दिल्ली पुलिस को इस पर कोई संशय है, तो जिस तरह से सरकारी काम होता है, वो दिल्ली सरकार के सम्बंधित विभाग से बात करें. डेलिगेशन ऑफ पावर का इस्तेमाल करें. ट्वीट करना उनका काम नहीं है, राजनीतिक पार्टियां ट्वीट कर सकती हैं, लेकिन पुलिस भी ट्वीट करेगी, तो यह पॉलिटिकल काम होगा. इससे पुलिस का महत्व कम होता है, लोगों को लगेगा कि पुलिस राजनीतिक हथियार की तरह काम कर रही है.