
नोटबंदी और जीएसटी के बाद आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. केंद्र सरकार द्वारा रिटेल मार्केट में सिंगल ब्रांड को ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी को 'आप' ट्रेड विंग ने गलत ठहराया है. इसके विरोध में 17 जनवरी को 'आप' ट्रेड विंग रिटेल एफडीआई का पुतला फूंकेगी.
आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग के कन्वीनर बृजेश गोयल ने बीजेपी की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं. गोयल का कहना है कि 'बीजेपी यूपीए सरकार के समय में रिटेल एफडीआई का घोर विरोध करती थी और अब अपनी सरकार के समय इसे पूरी तरह से लागू करने पर आमादा है. क्या विदेशी ब्रांड्स को देश में जड़ जमाने देना ही मोदी सरकार का मेक इन इंडिया है? मेक इन इंडिया का नारा देने वाली मोदी सरकार आखिर क्यों विदेशी कंपनीयों पर मेहरबान होना चाह रही है?"
आम आदमी पार्टी के मुताबिक यूपीए सरकार ऑटोमेटिक रूट से 49% रिटेल एफडीआई लाई थी, जबकि मोदी सरकार ने उसको 100% कर दिया है. इसके अलावा यूपीए सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए 30% सामान भारतीय बाजार से खरीदने की अनिवार्यता रखी थी, जबकि मोदी सरकार ने 5 साल के लिए उसको भी खत्म करके विदेशी कंपनियों को खुली छूट दे दी है, जिसके कारण भारत के छोटे-छोटे ब्रान्ड्स के लिए उनके मुकाबले में टिकना मुश्किल हो जाएगा.
आम आदमी ट्रेड विंग के अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल का आरोप है कि 'जीएसटी से लेकर ई-वे बिल तक मोदी सरकार हर ओर से व्यापारियों को घेरने में जुटी हुई है. अब केंद्र सरकार एफडीआई लाने जा रही है. हैरानी इस बात की है कि जब केंद्र में यूपीए सरकार थी और वह 49 प्रतिशत एफडीआई लाई थी, तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने यूपीए सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि विदेशियों की सरकार विदेशी कंपनियों के लिए काम कर रही है. अब जब वह प्रधानमंत्री बन गए हैं तो अपनी ही बात को भूल रहे हैं.'
आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग का मानना है कि देश में बड़े व्यापारी कम और छोटे व मझोले व्यापारियों की संख्या अधिक है. ऐसे में रिटेल एफडीआई के चलते देश के छोटे-छोटे ब्रांड का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. 'आप' ट्रेड विंग का आरोप है कि केंद्र सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि आने वाले समय में मल्टी ब्रांड रिटेल में भी एफडीआई को लागू कराया जा सके. व्यापारियों ने धमकी दी है कि अगर केंद्र सरकार फैसला वापस नही लेती है तो वो सड़क पर आंदोलन करेंगे.