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AAP ट्रेड विंग का 'सीलिंग की फीलिंग' अभियान, BJP से अध्यादेश लाने की मांग

रविवार को कई व्यापारियों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने नई दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की.  इस दौरान बृजेश गोयल ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस एक साल में दिल्ली के सातों सांसदों ने व्यापारियों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

आम आदमी पार्टी (फोटो-पंकज) आम आदमी पार्टी (फोटो-पंकज)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST

दिल्ली में सीलिंग को शुरू हुए एक साल पूरा होने पर आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग और व्यापारियों ने एक बार फिर विरोध जताया है. AAP ट्रेड विंग ने 'सीलिंग की फीलिंग' अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत ट्रेड विंग अपने साथ पीड़ित व्यापारियों को लेकर बीजेपी के सभी 7 सांसदों के घर जा रही है और सीलिंग से राहत दिलाने के लिए गुलाब के फूल के साथ-साथ एक मांग पत्र उन्हें दे रही है.

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AAP ट्रेड विंग के दिल्ली प्रदेश संयोजक और नई दिल्ली लोकसभा सीट से आप के प्रभारी बृजेश गोयल ने बताया कि दिल्ली में सीलिंग 22 दिसंबर, 2017 को शुरू हुई थी. शनिवार को इस सीलिंग रूपी दैत्य को एक साल पूरा हो गया. वर्ष 2017 से लेकर आज तक दिल्ली में हजारों लोग अपनी रोजी रोजगार से हाथ धो बैठे हैं, उनमें न केवल व्यापारी बल्कि उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं.

रविवार को कई व्यापारियों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने नई दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की.  इस दौरान बृजेश गोयल ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस एक साल में दिल्ली के सातों सांसदों ने व्यापारियों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. न तो केंद्र सरकार पर सीलिंग को रुकवाने के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाया और न ही संसद में बिल लाने पर जोर दिया. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि बीजेपी के सातों सांसद इस बात को समझ सकें कि अपनी रोजी रोटी पर ताला लगने के बाद कोई व्यक्ति किस हाल में होता है और कैसा महसूस कर रहा होता है.

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प्रदर्शन में करोल बाग से शामिल हुए व्यापारी रमेश आहूजा ने बताया कि सीलिंग का सिलसिला अब भी जारी है. लेकिन राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठा रही है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग बीजेपी सांसदों से मांग कर रही है कि संसद सत्र में सीलिंग रोकने के लिए बिल लाया जाए और अगर बिल नहीं ला सकते तो सत्र के बाद केंद्र सरकार इस संबंध में अध्यादेश पारित करते हुए दिल्ली के व्यापारियों को राहत दिलवाए.

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