
आम आदमी पार्टी सरकार के 21 विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है. इन 21 विधायकों को बीते साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. अब इन विधायकों को 'लाभ का पद' रखने के मामले में अयोग्य करार दिया जा सकता है.
इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए बीते साल जून में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी याचिका दी गई थी. चुनाव आयोग ने विधायकों को 11 अप्रैल तक इस याचिका पर जवाब देने का समय दिया था. हालांकि संबंधित 21 विधायकों ने शुक्रवार को इस याचिका पर जवाब देने के लिए 6 से आठ हफ्ते का और समय मांगा है. इसके पीछे वजह यह दी गई है कि संसदीय सचिवों को मिलने वाली सुविधाओं और भत्तों के बारे में सरकार से जानकारी लेने के लिए और समय की जरूरत है, क्योंकि इसके लिए सरकार के अलग-अलग विभागों से जानकारी लेनी होगी.
राष्ट्रपति लेंगे आखिरी फैसला
चुने गए संसदीय सचिवों में से एक का कहना है कि इस मामले को 'लाभ का पद' रखने से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि हमें अन्य मंत्रियों की तरह सचिवालय में अलग से कोई कमरे नहीं मिले. विधानसभा में जो भी होता है वह स्पीकर का फैसला होता है न कि सरकार का. चुनाव आयोग के अधिकारी के मुताबिक अब मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त मिलकर अब फैसला लेंगे कि उन्हें राष्ट्रपति से क्या सिफारिश करनी है और आखिरी फैसले पर राष्ट्रपति अपनी मुहर लगाएंगे. अधिकारी के मुताबिक इससे पहले भी विधायकों को अयोग्य करार दिया जा चुका है तो कुछ भी संभव है.
पिछले साल से चल रहा है विवाद
बीते साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का बीजेपी और अन्य पार्टियों ने विरोध किया था. विपक्ष का आरोप था कि इन 21 विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे दिल्ली की जनता पर बोझ पड़ेगा. ध्यान देने वाली बात यह है कि 1993 में दिल्ली विधानसभा के दोबारा गठन के बाद से किसी भी सरकार में तीन से ज्यादा संसदीय सचिव नहीं रहे हैं.